मानसून ने दिया धोखा, किसानों की बढ़ी धड़कन
छतरपुर। भारत में खेती को मानसून का जुआ कहा जाता है। वजह यह है कि यहां के अस्त-व्यस्त मानसून के कारण फसलों का नुकसान होता है। कहीं अतिवृष्टि से फसलें चौपट हो जाती हैं तो कहीं अल्प दृष्टि के कारण फसलें सूख जाती हैं। वर्तमान में बुंदेलखंड में जो हालात हैं उनको देखकर ऐसी आशंका हो रही है कि कहीं यहां के किसानों को भी सिर पकड़ कर ना बैठना पड़े क्योंकि बारिश ना होने से फसलें सूखने की स्थिति में आ गई है और किसानों की धड़कनें बढ़ रही हैं । खरीफ की फसल जैसे मूंगफली, उड़द, मूंग आदि की फसल पानी न मिलने के कारण सूखकर पीली होने लगी हैं। इसके साथ ही खेतों में कीट का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। बीते रोज कृषि अधिकारियों की टीमें ग्रामीण अंचलों का दौरा कर रही हैं और खेतों में जाकर फसलों का निरीक्षण करते हुए किसानों को फसलें बचाने के लिए आवश्यक जानकारी दे रहे हैं।
उप संचालक कृषि डॉ बीपी सूत्रकार ने बताया कि जिले के राजनगर, बमीठा सहित कुछ हिस्सों में बारिश होने की सूचना मिली है लेकिन जहां बारिश नहीं हो रही वहां की फसलों में संकट मंडरा रहा है। उन्होंने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर वे स्वयं लवकुश नगर क्षेत्र भ्रमण पर गए थे और खेतों पर जाकर फसलों को करीब से देखा है। खेतों की नमी लगभग खत्म होने की स्थिति में पहुंच गई है। यदि एक-दो दिन में बारिश नहीं होती तो फसलों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उधर हरपालपुर में कृषि अधिकारी सुरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि क्षेत्र के ग्राम कराठा, रानीपुरा, पपटुआ, सरसेड़ का दौरा किया है। क्षेत्र में मूंगफली, उड़द और मूंग की फसल के लिए पानी की कमी से खेतों की नमी कम हो रही है। निरीक्षण के साथ ही किसानों को बचाव के लिए आवश्यक सुझाव बताए गए हैं।अधिकारियों ने बताया कि मूंगफली के खेतो में नमी न होने पर कीटनाशक का छिड़काव न करें तथा खेतो में नमी बनाए रखने के लिए जलस्रोतों से सिंचाई करें।
31 जुलाई तक किसान करा सकते हैं फसलों का बीमा
अधिकारियों ने किसानों को फसल बीमा के संबंध में भी जानकारी दी है। अधिकारियों ने बताया कि मूंगफली की फसल का बीमा कराने के लिए 774 रुपए प्रति हेक्टेयर, तिल हेतु 434 रुपए प्रति हेक्टेयर, उड़द हेतु 532 रुपए प्रति हेक्टेयर और मूंग की फसल हेतु 510 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रीमियम राशि का प्रावधान है। बीमा के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, किसान पासबुक या खतौनी तथा बुवाई का प्रमाण पत्र होना आवश्यक है। फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है।