छतरपुर। जिला मुख्यालय में रेलवे स्टेशन के पास चंद्रपुरा में उद्योग स्थापित करने हेतु शासन द्वारा व्यापक पैमाने पर जमीन आरक्षित की गई थी। इस जमीन को उद्योग विभाग के माध्यम से इकाई लगाने हेतु व्यापारियों को उपलब्ध कराना था लेकिन उद्योग विभाग के अधिकारियों ने अवैध आर्थिक लाभ के खातिर कई ऐसे प्लॉट आवंटित कर दिए जिनमें अब तक कोई इकाई स्थापित नहीं हो सकी। कलेक्टर को इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रही थी। कलेक्टर ने एक जांच टीम बनाई, जांच टीम के सदस्य कोषालय अधिकारी ने शुक्रवार को उद्योग विभाग जाकर आवंटन एवं हस्तांतरण की फाइलें जप्त कर ली है। उन्होंने कहा कि शिकायतों के आधार पर बिंदुवार जांच की जाएगी।
शुक्रवार को जिला मुख्यालय में नौगांव रोड पर स्थित उद्योग एवं व्यापार विभाग में उस वक्त हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई जब एक टीम उद्योग विभाग की गड़बड़ी की जांच करने पहुंच गई। कलेक्टर द्वारा बनाई गई जांच टीम के सदस्य जिला कोषालय अधिकारी बीके श्रीवास्तव ने बताया कि उद्योग विभाग की अनियमिताओं की लगातार शिकायतें कलेक्टर के पास जा रही थी। कलेक्टर द्वारा जांच के लिए टीम बनाई गई और कलेक्टर के निर्देश पर ही जांच की जा रही है। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि चंद्रपुरा स्थित औद्योगिक क्षेत्र में जमीन आवंटन एवं हस्तांतरण के संबंध में मिली शिकायतों तथा आवंटन के दौरान गड़बड़ी किए जाने सहित विभिन्न बिंदुओं की शिकायतें मिल रही थी। इन्हीं शिकायतों को ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड तलब किया गया है। उन्होंने बताया कि अब यह जांच में देखा जाएगा कि कितने प्लाट आवंटित हुए हैं और कितने हस्तांतरित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जांच में यह बिंदु भी शामिल किया जा रहा है कि आवंटित किए गए प्लाटों में कितनी इकाइयां स्थापित हुई है और कितने ऐसे प्लॉट है जिनमें इकाइयां नहीं लगाई गई, लंबे समय से सिर्फ प्लांट ही आवंटित कराए गए हैं। उधर उद्योग विभाग के महा प्रबंधक आशुतोष गुप्ता का कहना है कि उनके यहां से किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं की गई। आवंटन और हस्तांतरण की फाइलें जांच हेतु ली गई है। जांच में क्या निकलता है यह तो जांच अधिकारी ही बता सकते हैं।