छतरपुर। जिले में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण इन दिनों आम जन-जीवन के साथ पशु-पक्षी और जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। एक ओर जहां छतरपुर का जिला अस्पताल बीमारी से ग्रसित लोगों से भरा पड़ा है तो वहीं दूसरी ओर जलस्रोतों में जल स्तर कम होने के कारण मछलियों सहित अन्य जीव-जंतुओं की मौत हो रही है। जिला अस्पताल के वार्डों में क्षमता से अधिक मरीजों के भर्ती होने की जानकारी सामने आई है। बताया गया है कि यहां पानी और पंखे की व्यवस्था न होने के कारण मरीजों के परिजन स्वयं संसाधन जुटा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल के 20 बिस्तर वाले एसएनसीयू वार्ड में इस समय 94 बच्चे भर्ती हैं जबकि 40 बिस्तर वाले बच्चा वार्ड में 70 से 80 बच्चे भर्ती हैं। हर रोज एक सैकड़ा से अधिक नए बच्चे भर्ती हो रहे हैं और इतने ही बच्चों को प्रतिदिन अस्पताल से डिस्चार्ज भी किया जा रहा है। जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक डॉ. नीरज द्विवेदी ने बताया कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण इस वर्ष तापमान 47 से 48 डिग्री तक पहुंचा है। मौसम में हुए इस बदलाव को बच्चों की बॉडी स्वीकार नहीं कर पा रही है, जिस कारण से बच्चे अधिक संख्या में बीमार हो रहे हैं। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि ज्यादा बच्चे डीहाईड्रेशन का शिकार हो रहे हैं और उन्हें बुखार आ रहा है। डॉ. द्विवेदी ने सलाह दी है कि नवजात शिशुओं को उनकी माताओं द्वारा 6 माह तक स्तनपान कराया जाना चाहिए। इसके बाद भी यदि उन्हें दस्त, बुखार होते हैं तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस समय बच्चों का धूप से बचाव किया जाना आवश्यक है। घरों के एसी को 24 से अधिक पर चलाना चाहिए ताकि शरीर का तापमान सामान्य रहे। उन्होंने यह भी सलाह दी है कि बच्चों को पंखे, कूलर और एसी की सीधी हवा से बचाना चाहिए। ऐसी, कूलर से निकलकर सीधे धूप के संपर्क में नहीं जाना चाहिए और जितना अधिक हो सके तरल, शीतल पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
जिला अस्पताल में गर्मी से बचने मरीज खुद जुटा रहे संसाधन
शुक्रवार को जिला अस्पताल के एक वार्ड से सामने आई कुछ तस्वीरों से यह ज्ञात हुआ है कि जिला अस्पताल में पानी और पंखों की समुचित व्यवस्था न होने के कारण यहां भर्ती मरीजों के परिजन गर्मी से बचने के लिए स्वयं के संसाधन एकत्रित कर रहे हैं। कई मरीजों के परिजनों ने जिला अस्पताल में स्वयं के कूलर, मटके रखे हैं ताकि मरीज को गर्मी से बचाया जा सके। बताया गया है कि जिला अस्पताल में तीसरे फ्लोर पर लगा सेंट्रल एसी खराब हैं, इसके अलावा वार्ड में जो पंखे लगे हैं वह पूरे वार्ड को ठंडा रखने में सक्षम नहीं हैं, जिस कारण से मरीजों के परिजनों स्वयं अपने संसाधन जुटा लिए हैं।
बेनी सागर डैम में हीट स्ट्रोक से हुई लाखों मछलियों की मौत
जिले की राजनगर जनपद अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बमीठा के बेनीसागर डैम में लाखों की तादाद में मछलियों की मौत हो गई है। बताया गया है कि डैम का जलस्तर कम होने के साथ तापमान अधिक होने के कारण हीट स्ट्रोक से इन मछलियों की मौत हुई है। डैम में मछली पालन कर अपने परिवारों का भरण-पोषण करने वाले परिवार मछलियों की मौत से बेहद दुखी हैं। बेनीसागर डैम में मछली पालन करने वाली समिति के सदस्यों ने बताया कि डैम में पिछले कई दिनों से पानी की मात्रा कम है और इसी बीच अचानक तापमान बढ़ गया, जिस कारण से पानी भी गर्म हुआ और डैम में मौजूद मछलियों ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। गौरतलब है कि पिछले दिनों जिले में तापमान 48 डिग्री तक पहुंच गया था जो कि जिले के इतिहास का सर्वाधिक तापमान था और इन्हीं दिनों में डैम की मछलियों की मौत हुई है। हालात यह हैं कि डैम के चारों और लाखों मछलियां मृत अवस्था में पड़ी हुई हैं, जिनसे दुर्गंध निकल रही है। अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
10किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहीं गर्म हवाएं
भीषण गर्मी के कारण पूरा बुन्देलखण्ड उबल रहा है। छतरपुर जिले में भी पिछले एक सप्ताह से जबर्दस्त गर्मी का असर है। मौसम विभाग खजुराहो से आरएस परिहार ने बताया कि जिले में पश्चिम की ओर से 10किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। 27 मई से जिले का तापमान 46 डिग्री के ऊपर ही चल रहा है। उन्होंने बताया कि 2 जून तक तापमान 46 और 47 डिग्री के आसपास ही रहेगा। 3 जून को आंधी और बादल की संभावना है। पिछले पांच दिनों से जिले में चल रहा न्यूनतम और अधिकतम तापमान इस प्रकार है।
दिनांक न्यूनतम अधिकतम तापमान
27 मई 29.8 47.2
28 मई 31.2 48.4
29 मई 32.0 47.4
30 मई 32.2 47.0
31 मई 32.2 46.5 डिग्री सेल्सियस