छतरपुर। शहर के गांधी आश्रम में संचालित एक माह के बाल रंग शिविर का समापन रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुआ। इस मौके पर शिविर में शामिल हुए सभी बच्चों ने मंच पर अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की शुरुवात अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करके की।
समापन कार्यक्रम में मुख्य द्वार पर बच्चों द्वारा बनाई गई आर्ट एंड क्राफ्ट की प्रदर्शनी लगाई गई थी जो कि अनामिका, सोमिल, लोकेश, अदिति और अंकित पाल के निर्देशन में थी जिसे अभिभावकों ने बेहद सराहा। कार्यक्रम की शुरुवात योगासन की प्रस्तुति से हुई जिसमें बच्चों ने राजेश कुशवाहा के मार्गदर्शन में विभिन्न आसान प्रस्तुत किए। दूसरी प्रस्तुति के रूप में बुंदेलखंड के पारंपरिक बुंदेली लोकगीतों को बच्चों के मुंह से सुनकर दर्शक भाव विभोर हो गए। महेंद्र तिवारी के निर्देशन में बच्चों ने सामूहिक रूप से विवाह गारी, कबीर का गीत और एक बुंदेली हास्य गीत गाकर मंच को ऊंचाइयां प्रदान कर दी। इसके पश्चात निशांत वाल्मीकि ,शिल्पा रैकवार और अंजली के निर्देशन में बच्चों के तीन समूहों ने ग्रुप डांस से मज़ा बिखेर दिया।
विद्युत अवरोध में भी जारी रहा नाटक का मंचन
समापन कार्यक्रम की अंतिम पेशकश सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के नाटक बकरी के रूप में थी जिसके चुटीले संवादों ने दर्शकों को कई बार हंसाया और तालियां बजाने पर मजबूर किया। हालांकि इस बीच विद्युत का व्यवधान देखने को मिला लेकिन दर्शकों ने अपने मोबाइल फ्लैश जलाकर मंच तक लाइट पहुंचाई और बच्चों ने बिना रुके लगभग 5 मिनट तक नाटक को लगातार जारी रखा। इस दौरान पिन ड्रॉप साइलेंस के साथ दर्शकों ने नाटक के चुटीले संवादों पर जमकर तालियां बजाईं। लगभग 25 कलाकारों से सजे इस नाटक का निर्देशन नवदीप पाटकार ने किया था जिसमें यश सोनी, सर्वेश खरे, अभिदीप सुहाने, कृष्णकांत मिश्रा ने भी सहयोगी भूमिका निभाई थी
अतिथियों ने ऐसे की शिविर की सराहना
कार्यक्रम के अतिथियों में शामिल डॉ बहादुर सिंह परमार ने कहा कि आज की नई पीढ़ी को इस तरह के संस्कार ऐसे शिविरों में कला के माध्यम से बखूबी मिल सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बच्चों ने जिस तरह से बुंदेली पारंपरिक गीत गाए वे इस शिविर में ही हो सकते थे। वरिष्ठ कृषक और समाजसेवी प्रेमनारायण मिश्र ने अपने उद्बोधन में टीम की एक माह की मेहनत और गांधी आश्रम के परिसर की खूबियों के बीच कलाओं के विकसित होने पर अपनी बात रखी। उमरिया से आए गांधीवादी संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि कला ही हमको संवेदनशील बनाती है और हमारे बच्चे संवेदनशील बनें, कला को समझें, इसी उद्देश्य को लेकर यह शिविर हुआ। इस दौरान उन्होंने एप्टा के नाटकों और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इप्टा की भूमिका का भी जिक्र किया। प्रो एसके छारी, शंकर सोनी, केएन सोमन, विपिन अवस्थी, संजय शर्मा सहित अन्य लोगों ने भी मंच के माध्यम से शिविर के आयोजन को सराहनीय बताते हुए हर वर्ष आयोजित करने और यथासंभव सहयोग करने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में शिविर संयोजक शिवेंद्र शुक्ला और दमयंती पाणी ने सभी दर्शकों और अभिभावकों का आभार व्यक्त किया। इसके बाद सभी बच्चों और व्यवस्थापकों को स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन नीरज खरे ने किया।