अध्यात्म समाज से जुडऩा सिखाता है तथा ध्यान एकाग्रता की ओर ले जाता है: प्रो. नीलिमा गुप्ता

छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में मप्र उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित शिक्षा में आध्यात्मिकता विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का रविवार को जेसी बोस सभागार में डॉ हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी सागर की कुलगुरू प्रो. नीलिमा गुप्ता के मुख्य आतिथ्य में आगाज हुआ। अध्यक्षता एमसीबीयू, छतरपुर की कुलगुरू प्रो. शुभा तिवारी ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ अशोक कड़ेल संचालक हिंदी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल एवं उज्जैन यूनिवर्सिटी के प्रो. धर्मेंद्र मेहता उपस्थित रहे। रजिस्ट्रार यशवंत सिंह पटेल, कला संकाय की डीन डॉ. पुष्पा दुबे तथा कार्यशाला के संयोजक डॉ. एसके छारी भी मंचासीन रहे। कार्यशाला का समापन आज सोमवार को विभिन सत्रों के व्याख्यान के साथ होगा।
उद्घाटन सत्र में संगीत विभाग के शैलेन्द्र वर्मा के निर्देशन में संगीत की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगान की मनोहारी प्रस्तुति दी। यूनिवर्सिटी परिवार एवं आयोजन समिति की ओर से आमंत्रित अतिथियों का शाल-श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह से हार्दिक स्वागत किया गया। स्वागत भाषण प्रो. जेपी शाक्य ने दिया। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि स्वस्थ्य मस्तिष्क के निर्माण हेतु शिक्षा में आध्यात्मिकता की आवश्यकता है। अध्यात्म हमें समाज से जुडऩा सिखाता है तो ध्यान हमें एकाग्रता की ओर ले जाता है। अध्यात्म एवं ध्यान एक दूसरे के पूरक हैं। छात्रों के चरित्र निर्माण में दोनों का बहुत महत्व है। कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रो. शुभा तिवारी ने कहा कि हमारे विचारों और सोच का सकारात्मक एवं शुद्ध होना ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक व्यक्ति कभी बोर नहीं होता क्योंकि वह स्वयं के साथ रहना जनता है। इसके अलावा विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन प्रो. बीएस परमार ने किया। कला संकाय की अध्यक्ष प्रो. पुष्पा दुबे ने सभी का आभार ज्ञापित किया। मध्यांतर में सभी अतिथि गौरैया स्थित यूनिवर्सिटी के नए विकसित हो रहे परिसर पहुंचे, जहां वृक्षारोपण करने के बाद निर्माण कार्य का अवलोकन किया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में शिक्षा में आध्यात्मिकता विषय के साथ उप विषयों पर आमंत्रित वक्ताओं ने सारगर्भित व्याख्यान दिए। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो राकेश ढांड उज्जैन ने की। कार्यशाला में प्रो आरएन मालवीय सोनीपत हरियाणा, डॉ प्रेमलता चुटेल उज्जैन, ब्रह्मकुमारी किरण दीदी भोपाल, डॉ संजय स्वामी नई दिल्ली ने भारतीय ज्ञान परंपरा तथा अध्यात्म पर गहनता से प्रकाश डालते हुए इसकी समग्र विवेचना की। कार्यशाला के द्वितीय सत्र का संचालन डॉ एसके छारी ने किया, जबकि डॉ सुमति प्रकाश जैन ने सभी का आभार माना। कार्यशाला में हिंदी ग्रंथ अकादमी भोपाल के तत्वावधान में एक आकर्षक पुस्तक प्रदर्शनी एवं विक्रय केंद्र तथा यूनिवर्सिटी के चित्रकला विभाग द्वारा चित्रकला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस केंद्र का उद्घाटन कुलगुरू प्रो. नीलिमा गुप्ता, प्रो. शुभा तिवारी, डॉ अशोक कड़ेल ने दीप प्रज्ज्वलित एवं फीता काट कर किया। सभी अतिथियों ने चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा विद्यार्थियों द्वारा बनाई चित्ताकर्षक पेंटिंग्स की भूरि-भूरि सराहना की।