छतरपुर। सावन मास भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए पवित्र माना जाता है। देव शयनी एकादशी को भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं और पृथ्वी का दायित्व भूतभावन भगवान भोलेनाथ को सौंप देते हैं। इसलिए श्रावण मास में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है। सावन के तीसरे सोमवार को जिले भर के शिवालयों में हर हर महादेव के नारे गूंजे। सिद्ध क्षेत्र जटाशंकर धाम में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया और पुण्य लाभ कमाया। वहीं बागेश्वर धाम में भी हजारों लोगों ने महादेव जी के दर्शन किये।
हजारों भक्तों ने मतंगेश्वर महादेव का किया जलाभिषेक
पवित्र श्रावण मास के तीसरे सोमवार को खजुराहो के प्रसिद्ध मतंगेश्वर महादेव मंदिर में हजारों भक्तों द्वारा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया। धार्मिक मान्यता है कि सावन सोमवार को भगवान शिव की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नगर परिषद अध्यक्ष अरुण कुमार अवस्थी और सीएमओ बसंत चतुर्वेदी ने मंदिर परिसर में जगह-जगह जल व्यवस्था कराई है, वहीं सुरक्षा की भी चाक चौबंद व्यवस्था है। बिना किसी परेशानी के भक्त दिन भर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते रहे।
मतंगेश्वर मंदिर में हुआ असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण
वहीं दूसरी ओर मतंगेश्वर महादेव मंदिर में मतंगेश्वर उत्सव समिति द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी असंख्य शिवलिंग निर्माण एवं शिव अभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भजन-कीर्तन के बीच दिन भर सैकड़ों लोगों ने असंख्य पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया, साथ ही अभिषेक किया गया। बनाए गए पार्थिव शिवलिंग का शाम के समय शोभायात्रा निकालकर शिवसागर तालाब में विधि-विधान से विसर्जन किया गया। भक्त मुकेश मिश्रा ने बताया पिछले 9 वर्षों से हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
भूतेश्वर शिवालय में उमड़ा भक्तों का सैलाब
हरपालपुर से करीब 3 किलोमीटर दूर सरसेड़ गांव की पहाड़ियों के बीच मौजूद भूतेश्वर शिवालय में सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों का सैलाब देखने को मिला। सुबह 4 बजे से भक्त यहां पहुंचने लगे थे और यह क्रम सोमवार को दिन भर चला। हजारों शिवभक्तों ने भोलेनाथ का अभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। बताया जाता है कि छठी शताब्दी में सरसेड़ गांव नाग राजाओं की राजधानी हुआ करता था। उसी समय पहाड़ के पत्थरों को काटकर यह मंदिर बनाया गया था, जिसका नाम भूतेश्वर मंदिर पड़ा। मंदिर के शिवलिंग के ऊपर मौजूद चट्टान शेषनाग की तरह है, जो कि बेहद आकर्षक है। इसके अलावा मंदिर के पास 5 जलकुण्ड हैं, जिनका पानी कभी खत्म नहीं होता। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में आने से अविवाहित कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है और भक्तों के मन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सावन के तीसरे सोमवार को हुआ प्रसाद वितरण
छतरपुर। जिला मुख्यालय के समीपी ग्राम ढड़ारी में सावन के तीसरे सोमवार को प्रसाद वितरण का कार्यक्रम धर्म प्रेमियों ने आयोजित किया। आयोजन समिति के सियाराम रावत ने बताया कि उनके बड़े भाई गोविंद रावत द्वारा हर वर्ष सावन के माह में खजुराहो के प्रसिद्ध झाड़ू वाले बाबा जी की स्मृति में यह आयोजन किया जाता है, उसी क्रम में इस वर्ष भी प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कार्यक्रम के दौरान सुबह से शाम तक हजारों लोगों ने खीर का प्रसाद ग्रहण किया।