गांधी आश्रम में हुआ राष्ट्रकवि को समर्पित मासिक रचना गोष्ठी का आयोजन

छतरपुर। स्थानीय गांधी आश्रम में मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की जिला इकाई द्वारा राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त को समर्पित मासिक रचना गोष्ठी का आयोजन किया गया। रचना गोष्ठी में सर्वप्रथम उपस्थित साहित्यकारों द्वारा गुप्त जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। गोष्ठी में गुप्त जी को समर्पित कविता पढ़ते हुए संध्या श्रीवास्तव ने कहा- 'हे राष्ट्र के गौरव तुम्हें प्रणाम। हे राष्ट्र कवि तुम्हें प्रणाम। वर्तमान समय में साहित्य में आई गिरावट पर व्यंग्य करते हुए स्मिता जैन ने 'हुआ पलायन बौद्धिकता का' शीर्षक कविता का पाठ किया। रवि शंकर पाठक ने भक्ति गीत पढ़ते हुए कहा- 'प्रेम बदरिया बन भक्तों को मन पर आज राम बरस गए। दरस को नैन तरस गए। शोभा शर्मा ने प्रेम को रेखांकित करते हुए कविता पढ़ी-'प्रेम और नफरत में, प्रेम को चुन लीजिए। चले जाएंगे इस संसार से प्रेम का वितान बुन लीजिए। जीवन की आशावादिता को रेखांकित करते हुए डॉ आशीष तिवारी ने कहा- बीत ही जाएंगे बुरे दिन, किसी रोज। जीता वही है, जो मरता नहीं हर रोज। आभा श्रीवास्तव ने 'इमारत' शीर्षक कविता पढ़ते हुए कहा- 'ए इमारत मत गिर जाना, चुन-चुन पत्थर, नई बनी है, रखो लहू की लाज। डॉ बहादुर सिंह परमार ने मैथिलीशरण गुप्त के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनके साहित्य की प्रासंगिकता पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए नीरज खरे ने गुप्त जी की पंक्ति 'हम क्या थे, क्या हो गए,और क्या होंगे अभी' को सूत्र वाक्य मानकर जीवन में अपनाते हुए भविष्य के चिंतन के साथ ही वर्तमान में स्वयं के योगदान की बात की। रचना गोष्ठी के पश्चात आगामी 11 अगस्त को इकाई द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम 'प्रेमचंद से परसाई' पर विचार विमर्श किया गया। इस कार्यक्रम में प्रदान किए जाने वाले स्वर्गीय रामजीलाल चतुर्वेदी स्मृति सम्मान एवं पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा का निर्धारण किया गया। कार्यक्रम के पश्चात गांधी आश्रम में सभी साहित्यकारों द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया। इस अवसर पर अभिजीत सुहाने, कृष्णकांत मिश्रा एवं विकास मिश्रा भी उपस्थित रहे।