बकस्वाहा। मध्य प्रदेश वन विभाग और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) मप्र भोपाल के निर्देशन में 2024-25 के गिद्ध गणना अभियान के तहत छतरपुर जिले में तीन दिनों तक गिद्धों की गणना की गई। इस दौरान जिले के छह वन परिक्षेत्रों में कुल 735 गिद्धों की पहचान हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 26 अधिक हैं। खास बात यह रही कि इस बार भी बकस्वाहा वन क्षेत्र सबसे आगे रहा, जहां 309 गिद्ध और 109 घोंसले पाए गए, जिससे स्पष्ट है कि गिद्धों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
गिद्धों की गणना के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि जिले में भारतीय गिद्ध, राज गिद्ध और इजिप्शियन गिद्ध जैसी विभिन्न प्रजातियाँ पाई गईं। बकस्वाहा क्षेत्र में सबसे अधिक गिद्धों की प्रजातियाँ दर्ज की गईं। वनमंडलाधिकारी सर्वेश सोनवानी ने कहा कि गिद्धों की बढ़ती संख्या पर्यावरण के लिए शुभ संकेत है। गिद्ध मृत प्राणियों को खाकर स्वच्छता बनाए रखते हैं और संक्रामक रोगों को फैलने से रोकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बकस्वाहा का घना जंगल, उपयुक्त जलवायु और पर्याप्त भोजन गिद्धों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करता है। इस बार बकस्वाहा क्षेत्र के निवार और चंदनपुरा जैसे नए इलाकों में भी गिद्धों की उपस्थिति दर्ज की गई, जिसे लेकर वन विभाग ने विशेष सुरक्षा उपाय अपनाने की योजना बनाई है।
पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर हुई स्थिति
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019 में छतरपुर जिले में कुल 514 गिद्ध थे, जिनमें से 209 बकस्वाहा में पाए गए थे। इसके बाद 2024 में गिद्धों की संख्या बढ़कर 709 हो गई, जिसमें से 299 गिद्ध बकस्वाहा में दर्ज किए गए। 2025 में जिले का आंकड़ा 735 हो गया है, जिसमें से 309 गिद्धों का ठिकाना बकस्वाहा में पाया गया है। गौरतलब है कि गिद्धों को पर्यावरण का स्वच्छता प्रहरी माना जाता है। इनकी मौजूदगी जलवायु और पारिस्थितिकी संतुलन का संकेत देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्धों की संख्या में वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि क्षेत्र का पर्यावरण स्वस्थ हो रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुशी जताई है, उन्होंने लिखा कि- गिद्धों को पसंद आया अपना मध्यप्रदेश। प्रदेश में गिद्धों की संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हो रही है, जो हमारे संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।