विद्यार्थी परिषद ने किया उग्र प्रदर्शन, पुलिस से भी हुई झड़प
छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने रिजल्ट में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जंगी प्रदर्शन किया। सैकड़ों छात्रों को इतिहास और अंग्रेजी जैसे विषयों में शून्य अंक देने और उपस्थित छात्रों को अनुपस्थित दिखाने के आरोपों ने आक्रोश को हवा दी। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासनिक भवन में तालाबंदी की और धरना दिया, जिसके बाद पुलिस और विश्वविद्यालय कर्मचारियों से उनकी तीखी झड़प हुई। करीब दो घंटे तक चले हंगामे के बाद कुलगुरु और एसडीएम को समस्याएं बताई गईं। विद्यार्थी परिषद ने सात दिन में जांच और कार्रवाई की मांग की, अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है।
जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 12 बजे विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पहुंचे और तालाबंदी कर दी। जवाब में कर्मचारियों ने अंदर से ताला लगा लिया, जिसके बाद नारेबाजी तेज हो गई। सिविल लाइन पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन इससे तनाव बढ़ गया और झड़प हो गई। करीब दो घंटे तक हंगामा चला। कुलसचिव प्रदर्शनकारियों से मिलने आए, लेकिन उन्हें मिलने से इनकार कर दिया गया। बाद में एसडीएम अखिल राठौर और कुलगुरु शोभा तिवारी मौके पर पहुंचे, जिनके सामने कार्यकर्ताओं ने अपनी समस्याएं रखीं। विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने हाल ही में कार्यकर्ताओं का अपमान किया और रिजल्ट में घोर अनियमितताएं कीं। संगठन ने कुलगुरु की तानाशाही और कथित घोटालों के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शन में विभाग संयोजक अभिनव चक्रवर्ती, जिला संयोजक सत्यम विश्वकर्मा, राजदीप तिवारी, कृतिका मिश्रा, आकाश दीक्षित, शैलेंद्र सिंह, विवेक सिंह, जनार्दन पटना सहित कई कार्यकर्ता शामिल थे।
रिजल्ट में अनियमितता का आरोप
छात्रा हिमांशी गोस्वामी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने इतिहास और अंग्रेजी विषयों के लगभग आधे छात्रों को शून्य अंक दिए हैं। कई छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा लिया, फिर भी उन्हें अनुपस्थित दिखाया गया, जबकि कुछ का रिजल्ट वेटिंग में डाल दिया गया। इन गड़बडय़िों ने छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है, जिससे आक्रोश फैल गया। हिमांशी ने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये का परिणाम है। वहीं विद्यार्थी परिषद के विश्वविद्यालय उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह राजावत ने कहा कि संगठन 75 वर्षों से छात्र और राष्ट्रहित में कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि हाल ही में घोषित रिजल्ट में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जैसे सैकड़ों छात्रों को शून्य अंक देना और उपस्थित छात्रों को अनुपस्थित दिखाना। शैलेंद्र ने कहा कि कुछ दिन पहले विश्वविद्यालय प्रबंधन ने विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं का अपमान किया, जिसने प्रदर्शन को और उग्र कर दिया। संगठन ने विश्वविद्यालय में कथित छोटे-बड़े घोटालों और कुलगुरु की तानाशाही के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने मांग की कि सात दिन के भीतर रिजल्ट की गड़बडय़िों की जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो, और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ रोका जाए। शैलेंद्र ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी न हुईं, तो विद्यार्थी परिषद  उग्र आंदोलन करेगा, जिसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। कुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी ने कहा कि छात्रों की शिकायतों की जांच की जाएगी और उचित कदम उठाए जाएंगे।