मित्र वही जो विपत्ति में साथ निभाए: पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
छतरपुर। संतों की तपोभूमि बागेश्वर धाम में सनातन हिन्दू एकता यात्रा को लेकर सात दिनों तक श्रीमद् भागवत महापुराण का आयोजन हुआ। कथा क्रम में सातवें दिन भक्त सुदामा के चरित्र का बखान किया गया। कथाव्यास बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति में साथ देता है।
बागेश्वर धाम के कथा पण्डाल में सातवें दिन की कथा सुबह 9 बजे से शुरू हुई। कथाव्यास महाराजश्री ने श्रीमद् भागवत महापुराण के सुदामा चरित्र का प्रसंग सुनाया। सुदामा जी के चरित्र का वर्णन करते हुए न केवल महाराजश्री द्रवित हुए बल्कि समूचा पण्डाल प्रेम आंसुओं से भर गया। महाराजश्री ने कहा कि सुदामा जी ने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप से बचाने के लिए श्रापित चना स्वयं खा लिए थे। उन्होंने एक सच्चे मित्र का धर्म निभाया। भगवान श्रीकृष्ण यही संदेश देना चाहते हैं कि सच्चे मित्र सुख में भले ही साथ न दे पाएं लेकिन दुख में सबसे आगे खड़े रहते हैं। वहीं एक दिन पहले भगवान श्रीकृष्ण के विवाह की कथा श्रवण करने का कथा रसिकों को अवसर मिला। रात करीब साढ़े 12 बजे तक कथाप्रेमियों से कथा स्थल भरा रहा। संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सुदामा चरित्र के साथ विराम हो गई।
संजय सिंह देशी टार्जन ने दिखायी फौलादी करामात
हरियाणा के देशी टार्जन के नाम से विख्यात संजय सिंह ने बागेश्वर धाम पहुंचकर बालाजी का आशीर्वाद लेते हुए महाराजश्री का आशीर्वाद लिया। देशी टार्जन गौव्रती हैं, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए देशी टार्जन गौदूध और गौमूत्र का सेवन कर अपना शरीर फौलाद की तरह बनाए हैं। बिना रूके एक बार में 11 हजार सपाटे लगाने का देशी टार्जन के नाम रिकार्ड है। उन्होंने पिछले 16 वर्षों से अन्न ग्रहण नहीं किया। गौमाता को राष्ट्र माता बनाने के लिए वह अपनी छोटी से जिम्मेदारी निभा रहा है। सपाटे लगाकर वह संदेश देना चाहता है कि नियम संयम के साथ ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर शरीर को फौलाद बनाया जा सकता है। आधा घंटे से अधिक समय तक वह लगातार कथा मंच पर सपाटे लगाता रहा।