छतरपुर। पूज्य आचार्यश्री आर्जव सागर के शिष्य मुनिश्री विलोक सागर एवं  मुनिश्री विबोध सागर के सानिध्य में संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज का 78वां अवतरण दिवस बड़े उल्लास से मनाया गया। इस खास अवसर पर नगर की जैन समाज ने विविध धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। जेल में  मुनिश्री के प्रेरक प्रवचन सुनकर कैदियों ने व्यसन और मांसाहार छोडऩे की प्रतिज्ञा ली
जैन समाज के डा सुमति प्रकाश जैन के मुताबिक ब्रह्मचारी नवीन भैया जबलपुर के निर्देशन में जैन मंदिर में सुबह साढ़े छह बजे से ही अभिषेक शांति धारा हुई। इसके बाद आचार्यश्री की पूजन सभी महिला मंडलो, बालिका मंडल, युवा मंडल एवं समस्त जैन समाज द्वारा किया गया। इसके साथ ही आचार्य छत्तीसी विधान समस्त श्रावकों ने बड़ी भक्तिभाव और संगीतमय वातावरण में किया।  
सहमंत्री अजित जैन ने बताया कि इसी दिन दोपहर 3 से मुनिश्री विलोक सागर , मुनिश्री विबोध सागर के सानिध्य एवं ब्रह्मचारी नवीन भैया के निर्देशन तथा संचालन में जेल में प्रवचन हुए।  अपने प्रवचन में मुनिश्री विलोक सागर ने कहा कि नर से नारायण बनने का मार्ग अपराध नहीं है। अपराध से मुक्त होना है  अपराध से जीवन में तबाही आती है। जेल में रहकर भी रावण नहीं राम बना जा सकता है। राम बनकर ही बुराई रूपी रावण को जीता जा सकता है क्योंकि असत्य पर ही सत्य की विजय होती है। पामर ही तो परमात्मा बनता है। जेल के कैदियों ने प्रवचन के बाद मुनश्री से हाथ उठा कर प्रतिज्ञा ली कि वे अब कभी सिगरेट, बीड़ी, जुआ, शराब ,मांस आदि का  सेवन नहीं करेंगे। जेलर राम शिरोमणि पांडे ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में अरविंद जैन एडीजे, महेंद्र रावत न्यायाधीश, हेमंत कुशवाह डीएलओ, उमेश सिंह शिक्षक, राजाराम  कॉल, सुयोग अवस्थी सरकारी वकील का सम्मान सकल जैन समाज ने किया। जैन समाज द्वारा सभी कैदी भाइयों को मिठाइयां एवं फल वितरित किए गए। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारी नवीन भइया ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से वरिष्ठ समाजसेवी दादा ज्ञानचंद्र जैन, अध्यक्ष अरुण कुमार जैन, उपाध्यक्ष अजय फटा रितेश जैन, महामंत्री सुदेश जैन सहमंत्री अजित जैन , कोषाध्यक्ष जितेंद्र जैन, प्रमोद सेठ, डेरा पहाड़ी मंत्री आरके जैन, संजीव बसाल विजय जैन आदि श्रद्धालुजन, महिलाएं, युवाजन और बच्चे बड़ी संख्या में उपस्थित थे।