छतरपुर। पिछले दिनों जहां किसान डीएपी खाद की किल्लत से जूझ रहा था, तो वहीं अब जिले में यूरिया की कमी सामने आ रही है। यूरिया लेने के लिए किसान सुबह 3 बजे से जिला मुख्यालय के वितरण केन्द्रों पर पहुंच रहे हैं। घंटों की मशक्कत के बाद किसान को 2 बोरी यूरिया खाद मिलता है, जो कि उनकी जरूरत के अनुसार काफी कम है। इसी के चलते किसानों को बार-बार वितरण केन्द्रों के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं।
सोमवार को जिला मुख्यालय के खाद वितरण केन्द्र पर ग्राम राईपुरा से आए किसान उमेश यादव ने बताया कि वह सुबह 6 बजे से कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उमेश ने बताया कि उसे 10 बोरी यूरिया की आवश्यकता है लेकिन दिन भर लाइन में लगने के बाद उसे 2 बोरी यूरिया मिलेगा और शेष यूरिया के लिए उसे दोबारा केन्द्र पर आना होगा। इसी तरह सड़ेरी के महेन्द्र तिवारी ने बताया कि उन्हें 15 बोरी यूरिया की आवश्यकता है लेकिन केन्द्र पर एक दिन में किसान को 2 बोरी यूरिया ही दिया जा रहा है। गुरईया के वृद्ध किसान मिहींलाल और बक्सीपुरवा के नंदी कुशवाहा ने बताया कि चूंकि देरी से आने पर टोकन नहीं मिलता इसलिए वे सुबह 3 बजे ही केन्द्र पर आ गए थे। कर्री के किसान जगदीश पटेल और हर्रई के हरिचंद आदि ने यूरिया वितरण प्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए नाराजगी जाहिर की है। उक्त किसानों ने केन्द्र पर पानी और बैठने की व्यवस्था न होने की बात भी कही।
एक बार में मिले जरूरत के अनुसार खाद
खाद वितरण केन्द्र पर टोकन लेकर घंटों तक लाइन में लगने के बाद किसानों को मात्र 2 बोरी यूरिया मिल रहा है, जिससे किसान नाराज हैं। किसानों का कहना है कि यूरिया वितरण प्रणाली में सुधार होना चाहिए और किसान को एक बार में ही उसकी जरूरत के अनुसार खाद दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से किसानों के समय की बचत होगी और उन्हें बार-बार वितरण केन्द्र पर आकर लाइन में नहीं लगना होगा।
बमीठा में किसानों ने किया चक्काजाम
जिले के बमीठा कस्बे में सोमवार की दोपहर खाद न मिलने से नाराज किसानों ने हाईवे पर चक्काजाम कर दिया, जिसके चलते दोनों ओर सैकड़ों वाहनों की कतारें लग गईं। बताया गया है कि यहां पर किसान सुबह करीब 4 बजे से कतारों में लगे थे और जब दोपहर तक उन्हें खाद नहीं मिला तो वे आक्रोशित हो गए। बताया गया है कि नाराज किसान शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सड़क पर बैठ गए थे, जिस कारण से हाईवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। बाद में अधिकारियों की समझाइश पर किसानों ने जाम खोला।