महाराजपुर। महाराजपुर नगर में लगातार 73 वर्षों से आदर्श रामलीला नाटक मंडल के द्वारा रामचरितमानस के आधार पर कलाकारों के अभिनय द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है जिसको देखने के लिए आज भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं। आदर्श रामलीला नाटक मंडल के कलाकारों के द्वारा आज का मंचन कुंभकरण वध और लक्ष्मण शक्ति दिखाया गया जिसमें सीता हरण के बाद रावण के एक-एक कर सभी भाई और बंधु मारे गए। अंत में रावण ने असमय कुंभकरण को निद्रा से उठाने के लिए सेना को आदेश दिया जैसे ही कुंभकरण उठकर आया तभी उसने अपने बड़े भाई रावण को प्रणाम करते हुए कहा कि आप साक्षात जगदंबा को हर लाए हैं लेकिन फिर भी मैं अपने भाई होने का फर्ज निभाउंगा और रणभूमि में जाकर युद्ध करूंगा उधर बार-बार योद्धाओं के मारे जाने से इंद्रजीत व्याकुल हो उठा और अपने पिता रावण से ललकार कर कहने लगा कि महाराज आज के युद्ध में मुझे जाने दीजिए तभी रावण उसको युद्ध में जाने का आदेश देता है। सभी प्रकार की छल विधाओं के साथ युद्ध करते हुए जब इंद्रजीत भी पराजित होने लगा तब उसने ब्रह्मा का आवाहन कर शक्ति का प्रयोग किया और श्री राम प्रभु के छोटे भाई लक्ष्मण को शक्ति लगा दी और जैसे ही शेषनाग अवतार लक्ष्मण मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिरे तो उसे लंका ले जाने के लिए मेघनाथ उठाने लगा लेकिन वह लक्ष्मण को हिला भी न पाया इतने में हनुमान जी ने उसको लात से ठोकर दी और एक ही पल में लक्ष्मण को उठाकर अपने साथ श्री राम प्रभु के पास ले गए। श्री राम प्रभु लक्ष्मण को घायल देख व्याकुल हो उठे इसके साथ ही दूसरे दिन कुंभकरण भी युद्ध में आ गया। कुंभकरण के पहाड़ जैसे शरीर को देखकर पूरी वानर सेना सहित शूरवीर योद्धा आश्चर्य चकित होकर रह गए कि यह इतने बड़े शरीर का कौन सा मायावी राक्षस आया है तभी श्री राम के शिविर में खड़े विभीषण ने बताया कि यह रावण का छोटा भाई कुंभकरण है जिसे असमय ही रावण ने युद्ध के लिए नींद से जगाया है। विभीषण से भेंट करने के बाद कुंभकरण भी श्री राम के हाथों मृत्यु को प्राप्त हुआ। इस कथा का मंचन बड़े ही ओझपूर्ण तरीके से कलाकारों के द्वारा किया गया और अंत में श्री राम प्रभु की आरती हुई।