बड़ामलहरा एवं लवकुशनगर में लार्वा नष्ट करने की दवा का किया गया छिड़काव

छतरपुर। कलेक्टर छतरपुर संदीप जीआर ने जिले में डेंगू, मलेरिया नियंत्रण के संबंध में समस्त नगरीय निकायों, जनपद पंचायतों एवं स्वास्थ्य विभाग सहित संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किए है। श्री जी.आर. ने तत्काल जल भराव वाले स्थानों पर पानी की उचित निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा उस स्थान पर जला हुआ ऑयल व लार्वा साईड डालने के निर्देश दिए हैं। शहरी क्षेत्र की समस्त नालियों की व्यापक स्तर पर साफ-सफाई एवं वार्डों में फॉगिंग कराने के निर्देश निकायों को एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जनपद पंचायतों को निर्देश दिए गए।
निर्देशों के परिपालन में ग्राम मोराहा, सुलेरन पुरवा, लवकुशनगर के ग्राम रेखा में दवा छिड़काव कराया गया एवं लार्वा सर्वे कर लार्वा विनिस्ट्रीकरण का कार्य किया गया। इसी क्रम में बड़मलहरा नगरीय निकाय में डेंगू मलेरिया के मच्छरों से बचाव हेतु नगर में कीटनाशक का छिड़काव एवं फॉग मशीन द्वारा धुआं छोड़ा गया।
बुखार आने पर नजदीकि स्वास्थ्य केन्द्र या ग्राम की आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क करें
कलेक्टर श्री जीआर ने जिला मलेरिया अधिकारी एवं खण्ड स्तर पर बीएमओ को जिले की सभी ग्राम पंचायतों एवं शहरी क्षेत्रों में मलेरिया नियंत्रण के लिए आमजन को एएनएम, आशाओं एवं निचले स्तर के अमले द्वारा लार्वा की सर्वे कराते हुए आवश्यक उपाये एवं जागरूक करने के निर्देश दिए। इस कार्य में महिला एवं बाल विकास विभाग का मैदानी अमला और नगरीय निकायों के कर्मचारी सहयोग करेंगे तथा शिक्षा विभाग को निर्देशित किया गया कि छात्रों द्वारा जनजागृति संदेश की रैली निकालते हुए लोगों को जागरूक करें। मलेरिया, डेंगू आदि मच्छरों के काटने से होने वाले रोग नियंत्रण के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। जिस किसी व्यक्ति को बुखार आता है तो वह तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र तथा गांव की आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क करें।
डेंगू से बचाव के लिए बरतें सावधारियां
डेंगू बुखार एक संक्रामक रोग है, जो डेन नामक वायरस से होता है। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है, इसलिए इससे बचाव के लिए मच्छरों को काटने से खुद को बचाना जरूरी है। डेंगू एडीज मच्छर काटने से फैलता है, इसलिए डेंगू से बचाव के लिए घर के आसपास पानी जमा न होने दें, यदि रुके हुए पानी को हटाना संभव न हो तो उसमें हर हफ्ते मिट्टी का तेल या जला हुआ ऑइल डालें, पानी की टंकी व पीने के बर्तनों को साफ कर भरें। हफ्ते में एक बार फूलदान, पशु व पक्षियों के पानी के बर्तन को सूखा कर ही पानी भरें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और आवश्यकता होने पर मच्छरदानी का प्रयोग करें।