गर्मी में राजस्थान का नाम सुनते ही सिहरन सी पैदा हो जाती है. तपती रेत, गर्मी-लू के थपेड़े सब याद आ जाते हैं. लेकिन इस भीषण गर्मी में भी हारे के सहारे बाबा श्याम के दर पर भक्तों की भीड़ बढ़ती जा रही है. चार धाम यात्रा शुरू होने के काऱण श्रद्धालु बाबा श्याम के भी दर्शन करते जा रहे हैं. गर्मी में भक्तों को राहत देने के लिए पंखे और पानी की व्यवस्था की गयी है.

विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी के दरबार में दिनों दिन भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. 40 डिग्री से ऊपर तपा देने वाली गर्मी में भी बाबा श्याम के मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई है. लखदातार के दरबार में संडे मेला के बाद देशभर से भक्त दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं. भीषण गर्मी को ताक पर रखकर भक्त अपने आराध्य देव श्याम सरकार के दर्शन करने के लिए खाटूधाम जी आ रहे हैं. बाबा श्याम के प्रति लोगों की इतनी आस्था है कि हजारों भक्त इस तपती गर्मी के बीच गर्म सड़क पर चलकर रींगस से खाटूश्याम जी की पदयात्रा कर रहे हैं.

चार धाम यात्रा
संडे मेले के बाद से ही बाबा श्याम के मंदिर में भक्तों की कतार टूटने का नाम ही नहीं ले रही है. इस बार अवकाश के कारण संडे मेले में करीब दो लाख भक्तों ने मनोहारी श्याम सरकार के दर्शन किए थे. भक्त वीकेंड मनाने के लिए भी खाटूश्याम जी पहुंच रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई, नोएडा और हरियाणा सहित अनेक जगहों से बसों के जत्थे खाटूश्याम जी आ रहे हैं. इन दिनों खाटूश्याम जी के दरबार में वृद्ध भक्तों की संख्या अधिक है. बड़ी संख्या में 60 साल से अधिक के पुरुष और महिलाएं चार धाम यात्रा के कारण बाबा श्याम के दरबार में भी पहुंच रहे हैं.

भक्तों पर इत्र की बौछार
बढ़ते तापमान के कारण श्री श्याम मंदिर कमेटी ने भक्तों की सहूलियत के लिए कई व्यवस्था की हैं. मंदिर कमेटी ने मंदिर परिसर क्षेत्र में भक्तों के लिए बड़े-बड़े पंखे लगाए हैं ताकि भक्तों को गर्मी ना लगे. इसके अलावा सभी 11 लाइनों में पानी की व्यवस्था की गई है. अधिक गर्मी होने पर भक्तों पर पानी और इत्र की बौछार भी की जा रही है. भक्तों को गर्मी ना लगे इसलिए मंदिर परिसर में मौजूद सभी बेरिकेट लाइनों को खोल दिया गया है ताकि भक्त आसानी से बाबा श्याम के दर्शन कर सकें.


कौन है बाबा श्याम
बाबा श्याम का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. बाबा श्याम भीम के पुत्र घटोत्कच के बेटे हैं. भगवान कृष्ण के वरदान के बाद घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक बाबा श्याम के नाम से पूजे जाने लगे थे. वीर बर्बरीक ने जब भगवान श्री कृष्ण को शीश दान दिया था. तब कृष्ण ने उन्हें श्याम नाम से कलयुग में पूजे जाने का वरदान दिया था. उसी वरदान के कारण लखदातार की प्रसिद्धि दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है.