छतरपुर। ऋतुराज वसंत के आगमन एवं वाग्देवी माँ सरस्वती के प्राकट्योत्सव बसंत पंचमी  के पावन पर्व पर भारतीय शिक्षण मंडल महाकौशल प्रान्त के तत्वाधान में माँ सरस्वती पूजन तथा भारतीय शिक्षा परपंरा पर परिचर्चा का आयोजन श्री कृष्णा विश्वविद्यालय, छतरपुर म.प्र. के सभागार में किया गया। जिसमें भारी संख्या में मातृशक्ति उपस्थित रही।
कार्यक्रम का प्रांरभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण, दीप प्रज्ज्वलन और भारतीय शिक्षण मंडल के ध्येयवाक्य से किया गया तत्पश्चात शिक्षण मंडल के संगठन गीत का सामूहिक रूप से गायन किया गया। इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल महाकौशल प्रान्त के प्रान्त अध्यक्ष डॉ.पुष्पेंद्र सिंह गौतम ने आभासीय माध्यम से अपने उद्बोधन में कहा कि यह भारत भूमि महान है। इस भूमि की ज्ञान की अविरल धारा ने संपूर्ण जगत को सींचा है। भारतीय ज्ञान परम्परा पुरातन युग से बहुत समृद्ध रहीं है। आधुनिक युग में प्रचलित भारतीय ज्ञान और विदेशों से आ रहीं तथा कथित नवीन खोज जो हमारे ग्रंथों में पूर्व से ही उल्लिखित है, भारतीय ज्ञान परम्परा के समृद्धशाली होने का प्रमाण है। बीती कुछ शताब्दियों से इस भूमि को इस प्रकार महसूस करवाया जाता रहा है कि यहां कभी ज्ञान अंकुरित ही नहीं हुआ। सहस्त्र वर्ष की दासता में हमारी सहस्त्रो पीढिय़ों ने पीड़ा को झेलते हुए इस ज्ञान को संजोए रखा। परंतु समय के साथ इसकी उपादेयता क्षीण होती रहीं। इसीलिए समय है भारत के ज्ञान वृक्ष की छाया में पोषित हो रहे इस विश्व को बताने का कि भारत का गुरुत्व अभी भी कायम है। भारत का ज्ञान गंगा जल के समान है, जो निर्मल और अविराम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में हमारी प्राचीनतम् भारतीय ज्ञान, विरासत, परंपरा एवं शिक्षण पद्धतियों के सनातन मूल्यों को आधुनिक शैक्षणिक पद्धति व व्यवस्था में अभिसिंचित करना है। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।