छतरपुर। छतरपुर के गांधी आश्रम  में इप्टा 05 से 20 आयु वर्ग के बच्चों, किशोरों और युवाओं के लिए सोलहवीं कार्यशाला का संचालन कर रहा है। इस कार्यशाला में शहर के 70 से ज्यादा प्रतिभागी संगीत, नृत्य, नाटक, जनगीत आदि कला विधाओं का प्रात: 6 बजे से दोपहर 11 बजे तक गहन अभ्यास कर रहे हैं। इस नाट्य कार्यशाला की शुरूआत 1 मई को हुई थी और इस कार्यशाला का समापन आयोजन 30 मई को प्रस्तुतियों के साथ किया जाएगा।
राष्ट्रीय इप्टा अपनी स्थापना के 81 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। 25 मई 1943 को मुंबई में इप्टा का पहला अधिवेशन हुआ था।  कलाकार इस दिन को जन संस्कृति दिवस के रूप में मनाते हैं। गांधी आश्रम में आज सुबह 10:30 बजे नाट्य कार्यशाला के बच्चों द्वारा दर्शकों के सामने एक अनौपचारिक माहौल में कबीर के गीत और हम होंगे कामयाब का गायन किया।
बच्चों के कुछ अभिभावकों और इप्टा से जुड़े कलाकारों की उपस्थिति में नीरज खरे ने आजादी के आंदोलन में इप्टा की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि जन सरोकारों के लिए चले सांस्कृतिक आंदोलन में इप्टा की बड़ी और केंद्रीय भूमिका रही है। उन्होंने संस्कृतिकर्मियों के संगठन इप्टा के गौरवशाली इतिहास पर भी संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला। इस अवसर पर शुरूआत में बच्चों द्वारा कबीर और गिरिजाकुमार माथुर के गीत का सामूहिक गायन किया गया। समापन के अवसर पर बच्चों द्वारा तैयार किए गए चित्रों की प्रदर्शनी, पारंपरिक लोकगीत,नृत्य और सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के नाटक का मंचन किया जाएगा।