छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, छतरपुर की कुलगुरु प्रो शुभा तिवारी की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय से संबद्ध समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों की बैठक का आयोजन बुधवार को विश्वविद्यालय के जेसी बोस सभागार में किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालयों की कार्यप्रणाली में छात्र-हितकारी गुणात्मक सुधार करना रहा, साथ ही परीक्षा, संबद्धता, एनईपी-2020, शोध जैसे 14 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बैठक के दौरान चर्चा हुई। बिंदुओं को रेखांकित करते हुए प्रो. शुभा तिवारी ने कहा कि देश और समाज की उन्नति के लिए हम गुणात्मक सुधार के लिए हम एक कदम जरूर उठाएं।
विश्वविद्यालय के डीसीडीसी प्रो ओपी अरजरिया ने सभी आगंतुक आधिकारियों, प्राचार्यों एवं उनके प्रतिनिधियों का शब्द सामनों से स्वागत किया। अधिष्ठाता छात्र कल्याण, प्रो आर के पाण्डेय ने नई शिक्षा नीति 2020 एवं उसमें हुए सुधारों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। साथ ही जनजातीय गौरव से जुड़े स्थलों की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु आग्रह किया। बैठक में उप?स्थित प्राचार्यों से विद्यार्थियों के डिजिलॉकर अकाउंट, एबीसी आईडी बनवाना, हेल्प डेस्क के माध्यम से विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करना, नई शिक्षा नीति 2020, भारतीय ज्ञान परम्परा के तहत सेमीनार आयोजित कराना, यूजीसी स्वयं पोर्टल पर विद्यार्थियों के पंजीयन करना एवं पाठ्यक्रमों का लाभ लेने, सत्र 2024-25 एवं 2025-26 के लिए महाविद्यालयों की संबद्धता एवं निरंतरता, संबद्धता-निरंतरता, शारीरिक-सांस्कृतिक शुल्क, निजी महाविद्यालयों में कोड-28 के अनुसार नियुक्तियां, महाविद्यालय को प्रदत्त अग्रिम राशि के समायोजन, शोध निर्देशक बनाए जाने हेतु प्राचार्य से चर्चा, सत्र 2025-26 की मुख्य परीक्षा का एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार संचालन एवं उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के संबंध में, सीसीई, प्रोजेक्ट, प्रायोगिक अंकों का डिजिटल सिग्नेचर एमपी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से समय पर प्रेषित करने एवं परीक्षार्थियों की उपस्थिति की जानकारी उपलब्ध कराने के संबंध में, परीक्षा फॉर्म में विषयों का परीक्षण कर अग्रेषित करने के पूर्व अग्रेषितकर्ता अधिकारी द्वारा पात्रता या अर्हता परीक्षा उत्तीर्ण अनुसार स्थाई प्रवेश सुनिश्चित करने के संबंध में, महाविद्यालयों की निरीक्षण इत्यादि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। साथ ही इत्यादि सभी कार्यों में आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु विचार विमर्श किया गया ताकि एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार सत्र की समस्त गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित किया जा सके। अग्रिम राशि के समायोजन हेतु वित्त नियंत्रक विजय तिर्की ने अपनी बात रखी। शासन की मंशा अनुसार नए शोध निदेशक बनाए जाने के विषय पर शोध निदेशक प्रो. बहादुर सिंह परमार ने संबोधन किया। परीक्षा नियंत्रक प्रो एनपी प्रजापति ने परीक्षा से संबंधित सभी दायित्वों को गुणवत्तापूर्ण और समय सीमा में निभाने की बात कही। कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल ने सभी बिंदुओं पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन डॉ दुर्गावती सिंह ने किया तथा अंत में डीसीडीसी प्रो ओपी अरजरिया ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
महाविद्यालय के प्राचार्यों ने रखी अपनी बात
नौगांव के सनराईज कॉलेज से आए महेश साहू ने कहा कि विश्वविद्यालय की नीतियों की वजह से अशासकीय महाविद्यालयों की हालत खस्त हो गई है। एक तरफ जहां विश्वविद्यालय ने अपनी सीटें तीन गुनी बढ़ा ली हैं तो वहीं अशासकीय महाविद्यालयों संख्या 10 प्रतिशत से भी कम जा पहुंची है। ऐसे में महाविद्यालयों पर संबद्धता और निरंतरता शुल्क के अलावा अन्य भार पडऩे से वे बंद होने की कगार पर आ गए हैं, जिस पर विश्वविद्यालय का कोई ध्यान नहीं है। राजनगर के राजा बलवंत सिंह कॉलेज से आए कुदरतउल्ला बेग ने कहा कि शासन नियम पर नियम थोपता जाता है लेकिन अशासकीय महाविद्यालयों की सुनवाई नहीं होती। न तो समय पर परीक्षा परिणाम घो?षित होते हैं और न ही महाविद्यालयों की निरंतरता शुल्क में कोई कमी की जा रही है। मित्तल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आनंदी बाजपेयी ने कहा कि तीन वर्षों की निरंतरता शुल्क लेकर एक साथ तीन साल की मान्यता दी जानी चाहिए। इसके अलावा अन्य प्राचार्यों ने भी अपनी समस्यायें पटल के सामने रखीं। बैठक के बीच में जब सवालों का सिलसिला ज्यादा होने लगा तो कुलगुरू प्रो. शुभा तिवारी को मंच से उठकर आना पड़ा और सभी के बीच में बैठकर अपनी बात रखी।