छतरपुर। श्री कृष्णा विश्वविद्यालय के सभागार में सकारात्मक सोच एंव ध्यान पर एक कार्यशाला का आयोजन  किया गया।  इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता पिरामिड स्पिरिचुअल सोसायटी भोपाल की वंदना जैन, विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के उपकुलगुरु डॉ.गिरीश त्रिपाठी जी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता  विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अनिल कुमार धगट ने की। मंचासीन अतिथियों में मां सरस्वती जी की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया।
विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अनिल कुमार धगट ने अपने वक्तव्य में कहा कि  सकारात्मक सोच हमें तनाव प्रबंधन में मदद करती है और हमारे स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकती है। इसके अलावा, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि आशावाद जैसे व्यक्तित्व लक्षण हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के कई क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं। इस प्रकार, सकारात्मक सोच आशावाद के साथ आती है। निश्चित ही आज की यह कार्यशाला हमारे सभी प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के जीवन लिए कारगर साबित होंगी।
विश्वविद्यालय के उपकुलगुरु डॉ.गिरीश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि सकारात्मक सोच मूल रूप से एक आशावादी दृष्टिकोण है। यह किसी भी स्थिति में अच्छे पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास है। इस तरह की सोच आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डालती है।
आज के कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि वंदना जैन ने सकारात्मक सोच के महत्व को समझाते हुए बताया कि हमें अपनी विचारशक्ति को प्रशासन करना सीखना चाहिए। यह हमें अवसरों को पहचानने और उन्हें प्राप्त करने की क्षमता देती है, जिससे हम अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं। सकारात्मक सोच हमें दृढ़ विश्वास और स्वयं के सामथ्र्य में विश्वास दिलाती है। इसके अलावा यह हमें डिप्रेशन से लडऩे और तनाव से राहत दिलाने में भी मदद करती है सकारात्मक सोच तनाव को दूर भगाती है और यह आपको तनाव से छुटकारा दिलाएगी। परिणामस्वरूप, सकारात्मक सोच आपको लंबे समय तक जीने में मदद करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप तनाव, चिंता और अन्य कारणों से होने वाली बीमारियों से मुक्त रहेंगे। इसके अलावा, यह सफलता की कुंजी भी है। कहने का मतलब है, जब आप खुद को कोसते नहीं हैं तो सफलता आसान हो जाती है।
इसी तरह, ध्यान हमें अधिक आत्मविश्वास देता है, हमारे आत्मसम्मान को बढ़ाता है और अधिक आत्मविश्वासी और आत्म-विश्वासी बनने में मदद करता है। इसलिए, हमें अपने जीवन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए निश्चित रूप से सकारात्मक सोच एंव ध्यान को अपनाना चाहिए को अपनाना चाहिए।
इस कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रमुख डॉ. शिवेन्द्र सिंह परमार, भोपाल से आये शैलेश प्रताप सिंह, दीपेन्द्र सिंह और विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के प्राध्यापकगण और विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रबंधन विभाग की सहायक प्राध्यापक, सुमेधा राय ने किया।