छतरपुर। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस बार यह आयोजन बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम के स्थान पर उत्कृष्ट हायर सेकेण्डरी स्कूल क्रमांक 1 के खेल मैदान में रखा गया। राम-रावण युद्ध की लीला का मंचन करने के बाद रावण के पुतले में रामजी के धनुष से निकली चिंगारी ने आग लगा दी। राजनीति के शिकार हुए रावण को रात करीब साढ़े 10 बजे के बाद मुखाग्रि मिल सकी। मुख्य अतिथि के रूप में विन्द्राधाम से आयीं महामण्डलेश्वर साध्वी डॉ. प्रज्ञा भारती जी उपस्थित हुईं। वहीं आयोजन की अध्यक्षता चित्रकूट धाम के रामायणी कुटी से आए पूज्य संत रामहृदयदास जी महाराज ने की। विशिष्ट अतिथियों में राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार, विधायक छतरपुर ललिता यादव, नपाध्यक्ष ज्योति चौरसिया, कलेक्टर पार्थ जैसवाल, एसपी अगम जैन, वरिष्ठ सर्जन डॉ. एमपीएन खरे विशेष रूप से उपस्थित रहे।
विजयादशमी समारोह इस वर्ष 127वें वर्ष में प्रवेश कर गया। जिला मुख्यालय में श्री अन्नपूर्णा रामलीला एवं श्री लाल कड़क्का रामलीला समिति द्वारा लीलाओं का मंचन किया जाता है। इस बार रावण दहन का कार्यक्रम श्री लाल कड़क्का रामलीला समिति को करना था। समिति की ओर से आयोजन की पूरी तैयारियां की गईं। उत्कृष्ट हायर सेकेण्डरी स्कूल क्रमांक 1 के खेल मैदान में पहले राम-रावण युद्ध की लीला का मंचन हुआ। इसके बाद साढ़े 10 बजे से अधिक समय होने के पश्चात रावण दहन का कार्यक्रम शुरू हुआ। उल्लेखनीय है कि नौगांव में गोधुलि बेला में ही रावण दहन की परंपरा है। इतना ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों में भी हर हाल में शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक रावण दहन की परंपरा चली आ रही है। छतरपुर का रावण दहन कार्यक्रम कभी भी शाम के वक्त नहीं हो पाता। इसके पीछे की वजह राजनीति का हस्ताक्षेप कहा जा रहा है। जब दर्शक निराश और हताश होकर घर वापस लौटने के लिए जाने लगते हैं तब यह कार्यक्रम शुरू होता है। आम जनमानस का यह सवाल है कि आखिर रावण दहन गोधुलि बेला में क्यों नहीं किया जाता? खैर जो भी हो अतिथियों की उपस्थिति में रावण दहन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। अतिथियों ने सबको विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।