मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती का 60वां पुण्य स्मृति दिवस मनाया गया
लवकुशनगर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती का 60वां पुण्य स्मृति दिवस श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सुबह से ही ध्यान साधना का समागम हुआ, जिसमें सभी ने संगठित रूप से बैठकर ध्यान किया। छतरपुर किशोर सागर से पधारीं ब्रह्माकुमारी रीना दीदी ने मातेश्वरी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके गुणों और जीवन दर्शन से प्रेरणा लेने की बात कही। कार्यक्रम में पुष्पांजलि अर्पित की गई और नन्ही बालिका द्वारा नृत्य प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।
सुबह से शुरू हुए कार्यक्रम में ध्यान साधना के बाद ब्रह्माकुमारी रीना दीदी ने परमात्मा के महावाक्यों का उच्चारण करते हुए मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मातेश्वरी ने मात्र 16 वर्ष की आयु में ब्रह्माकुमारी संस्थान को अपना जीवन समर्पित कर दिया था। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभावान मातेश्वरी गंभीर व्यक्तित्व की धनी थीं। आज्ञाकारिता, ईमानदारी, सच्चाई और सफाई जैसे गुण उनके जीवन का श्रृंगार थे। रीना दीदी ने मातेश्वरी के इस कथन पर जोर दिया कि "हर घड़ी अंतिम घड़ी है," और कहा कि इस भावना से कार्य करने पर हम पूरे ध्यान और सावधानी से काम करते हैं, जिससे गलतियां नहीं होतीं। यही विशेषताएं उन्हें हमेशा नंबर वन बनाए रखती थीं। रीना दीदी ने बताया कि 1937 में संस्था की स्थापना के बाद मातेश्वरी ने मुख्य प्रशासिका के रूप में कार्यभार संभाला और 1965 में अपने नश्वर शरीर को त्याग कर संपूर्णता को प्राप्त किया। बहन सुलेखा ने बताया कि मातेश्वरी ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 2 बजे से विश्व कल्याण के लिए ध्यान साधना करती थीं। उनके जीवन को देखकर आज हजारों बहनें समाज सेवा, राष्ट्र सेवा और विश्व सेवा के लिए प्रेरित होकर उदाहरण मूर्ति बन रही हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी भाई-बहनों ने मातेश्वरी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की और प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान नन्ही बालिका कुमारी सिद्धि राजपूत ने मातेश्वरी के जीवन चरित्र पर आधारित एक सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिकों सहित संस्था से जुड़े भाई-बहन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।