छतरपुर। समाज में अक्सर प्यार में पागल होने वाली कहावत हमें सुनने को मिलती रहती है लेकिन इसके उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं। बहरहाल छतरपुर जिले में इस कहावात को चरितार्थ करने वाला मामला सामने आया है। बताया गया है कि छतरपुर जिले का एक युवक उस वक्त वास्तव में पागल हो गया जब उसका विवाह उसकी प्रेमिका से नहीं हो सका। इस सदमे में युवक न सिर्फ विक्षिप्त हुआ बल्कि हिंसक भी हो गया जिस कारण से उसके परिजनों को मजबूरन उसे जंजीरों में बांधकर रखना पड़ा और इसी तरह विक्षिप्त अवस्था में जंजीर में जकड़े हुए युवक ने अपने जीवन के 14 साल व्यतीत कर दिए। इस बारे में जब मानसिक विक्षिप्तों के सेवक डॉ. संजय शर्मा को जानकारी लगी तो उन्होंने युवक के गांव जाकर पूरे मामले की जानकारी ली और अब उनके द्वारा युवक का इलाज कराए जाने की पहल परिजनों की सहमति से की गई है।
मानसिक विक्षिप्तों के सेवक डॉ. संजय शर्मा बताते हैं कि करीब 14 वर्ष पूर्व सटई थाना क्षेत्र के पड़रिया निवासी मैयादीन कुशवाहा का विवाह पास के ही गांव में तय हुआ था। मैयादीन अपनी होने वाली पत्नी से बेइंतहा मोहब्बत करता था लेकिन किसी कारणवश उसकी शादी टूट गई जिसका सीधा असर मैयादीन के दिमाग पर हुआ और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। शुरुआत में मैयादीन हिंसक नहीं था लेकिन जैसे-जैसे समय बीता वैसे-वैसे मैयादीन हिंसक होने लगा। परिजनों ने अपनी क्षमता के अनुसार उसका इलाज कराया लेकिन जब उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो मजबूरी में घरवालों ने जंगल में स्थित अपने खेत की झोपड़ी में मैयादीन को जंजीरों में बांध दिया। पिछले करीब 14 वर्षों से मैयादीन इसी तरह जंजीरों में जकड़े हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। डॉ. शर्मा के मुताबिक पिछले दिनों गांव के लोगों से उन तक यह जानकारी पहुंची थी जिसके बाद उन्होंने पड़रिया जाकर 35 वर्षीय मैयादीन और उसके परिजनों से मुलाकात की। जब डॉ. शर्मा ने परिजनों से मैयादीन का इलाज कराने के लिए सहमति मांगी तो वे सहर्ष तैयार हो गए। डॉ. शर्मा ने बताया कि जल्द ही वे कार्यपालिका व न्यायपालिका के सहयोग से दस्तावेजी कार्यवाही को पूरा कराकर मैयादीन को ग्वालियर भेजेंगे जहां उसका पूर्णत: नि:शुल्क इलाज होगा। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में पहले पुलिस इस्तगाशा बनाएगी, फिर मेडिकल बोर्ड से मैयादीन का मेडिकल होगा और उसके बाद न्यायालय में पेश कर, न्यायालय के आदेश से मैयादीन को आरोग्य शाला ग्वालियर में भर्ती कराया जाएगा। डॉ. शर्मा के मुताबिक संभवत: शीघ्र ही मैयादीन स्वस्थ होकर नए जीवन की शुरुआत करेगा।
33 वर्षों में लगभग 1100 विक्षिप्तों के लिए मसीहा बने डॉ. संजय शर्मा
उल्लेखनीय है कि मानसिक विक्षिप्तों के मसीहा कहे जाने वाले छतरपुर निवासी डॉ. संजय शर्मा पिछले करीब 33 वर्षों से मानसिक विक्षिप्तों की सेवा करते आ रहे हैं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि यह कार्य वे अपने निजी व्यय पर करते हैं और ऐसा करने से उनके मन को शांति मिलती है। डॉ. शर्मा अब तक लगभग 1100 मानसिक विक्षप्तों का इलाज करवा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश विक्षिप्त स्वस्थ होकर नए जीवन की शुरुआत कर चुके हैं।