एकलव्य विश्वविद्यालय में इतिहास विद्या एवम इतिहास लेखन पर चल रहे राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल समापन
दमोह(अनुराग बजाज)। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली एवं एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "इतिहास विद्या एवं इतिहास लेखन, प्रविधि, प्रवृत्तियां एवं नवीन आयाम" का समापन सत्र में उपस्थित कार्यक्रम के अध्यक्ष दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष, राजकीय उच्चतर शिक्षा आयोग उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय संकलन योजना के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर ईश्वर शरण विश्वकर्मा, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय के साथ ही अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के महासचिव श्री हेमंत धिंग मजूमदार एवम एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया, कुलपति प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार जैन एवम कुलसचिव डॉ प्रफुल्ल शर्मा के सानिध्य में मां सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्वलित कर समापन सत्र का शुभारंभ किया गया।अतिथियों का स्वागत परिचय राष्ट्रीय महासचिव हेमंत धिंग मजूमदार ने कराया। कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया ने व्याख्यान देते हुए भारत को भारत ही कहने पर जोर देते हुए भारत से इंडिया शब्द को अलग करने की बात पटल पर रखी। इन दो दिवसों में राष्ट्र के सभी प्रान्तों से आए लगभग सौ से अधिक सहभागियों ने शोध पत्रों का वाचन किया गया साथ ही अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सदस्यों द्वारा संगठनात्मक परिचर्चा की गयी। इस दो दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर विचार मंथन किया गया।इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया, प्रति कुलाधिपति श्रीमती पूजा मलैया, कुलपति डॉ. पवन जैन, कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा, निदेशक आएक्यूएसी डॉ. पर्ली जैकब, अधिष्ठाता अकादमी शाखा डॉ. अर्चना पाठक, अधिष्ठाता छात्र कल्याण शाखा डॉ. शैलेन्द्र जैन एवम अधिष्ठाता इंजीनियरिंग डॉ. अनिल पिम्पलापुरे,अधिष्ठाता डॉ. आर सी जैन, डॉ. निधि असाटी, डॉ. आरती तिवारी के साथ ही सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवम प्राध्यापकों की उपस्थिति रही। वक्ता के रूप में उपस्थित अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय ने इतिहास पर वक्तव्य देते हुए बताया कि इतिहास लेखन को जनपद तक पहुंचाना होगा।भारत हिन्दू राष्ट्र था,है और रहेगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर ईश्वर सिंह विश्वकर्मा जी ने संकल्प दिलाया कि ऐसे बौद्धिक मंथन अनवरत होते रहना चाहिए। इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में आए पूर्व राज्य सभा सांसद एवम कुलाधिपति श्री गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय सासाराम ,बिहार श्री गोपाल नारायण सिंह ने एकलव्य विश्वविद्यालय रचनाशीलता की सराहना करते हुए विश्वविद्यालय में सभागार निर्माण हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने की घोषणा की। संगोष्ठी में भारत की विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव के साथ ही वरिष्ठ प्राध्यापकों एवम इतिहासकारों ने सहभगिता की।कार्यक्रम के अंत में एकलव्य विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पवन कुमार जैन ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।