छतरपुर। नौ देवियों का स्वरूप नारी शक्ति का स्वरूप है जो हर रूप में पूजनीय है। देवी मां का हर स्वरूप नारी के बाल्यकाल से लेकर वृद्धावस्था तक उसके कर्तव्यों को दर्शाता है लेकिन उसके हर स्वरूप के साथ कोई न कोई कुरीति जुड़ जाती है जैसे अष्टमी का दिन महागौरी के स्वरूप के पूजन का दिन है। जब नारी  हर रीति से परिवार को सुरक्षित कर लेती है बच्चे भी बड़े हो जाते हैं तो सारी जिम्मेवारी परिवार को सौंपती है और उनको दिशा निर्देश देती है यह उसके महागौरी का स्वरूप है जो हर रीति से परिवार को गाइडेंस देने का कार्य करती है लेकिन ऐसे समय पर भी एक कुरीति जुड़ जाती है उसके साथ वह कौन सी?  जैसे ही बुजुर्ग अवस्था होती है तो उसको वृद्ध आश्रम में डाल देते हैं तो यह महागौरी का स्वरूप है उसको वृद्ध आश्रम में न भेजा जाए उसकी देखभाल करें, उसकी पालना करें यह स्वरूप भी उसका पूजनीय है। यदि उसकी देखभाल आदि सही तरीके से हुई तो अंत में वह सिद्धिदात्री भी बन जाती है यही सारी सिद्धियों का वरदान वह अपने परिवार को देने के लिए तैयार हो जाती है अर्थात सफलता का वरदान परिवार को देने लगती है जिससे कि परिवार फले-फूले,आगे बढ़े।
उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय किशोर सागर में नवरात्रि के पावन पर्व पर ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू से बाल ब्रह्मचारिणी वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं मैनेजमेंट ट्रेनर बीके ऊषा दीदी ने व्यक्त किये। इस मौके पर दीदी ने देवियों के 9 स्वरूपों का आध्यात्मिक रहस्य बताया। इस अवसर पर दीदी के साथ अमेरिका से पधारी बीके संध्या ने बृहस्पति की दशा से लेकर राहु की दशा तक का आध्यात्मिक रहस्य समझाया।
इसी तारतम्य में भोपाल जोन अध्यक्षा राजयोगिनी बीके अवधेश बहन के साथ होशंगाबाद से बीके तुलसा, बीके सुनीता, सीधी से बीके रेखा, अर्चना बहन, पचमढ़ी से बीके संध्या, रूपा बहन, सतना से अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वालों से ट्रक, शताब्दी ट्रेन का इंजन खींचने वाली बीके रानी बहन का आगमन हुआ। इस मौके पर छतरपुर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके शैलजा ने कहा कि नवदुर्गा में भक्तगण दूर-दूर देवियों के दर्शन करने जाते हैं लेकिन यह हम सभी छतरपुर वासियों का परम सौभाग्य है कि बाल ब्रह्मचारिणी तपस्विनी चैतन्य देवियां स्वयं चलकर हमारे पास वरदानों से झोली भरने पहुंची है तो आओ मिलकर हम सभी देवियों का स्वागत करें, वंदन करें अभिनंदन करें।