हरपालपुर। झाँसी-मानिकपुर रेल लाइन के दोहरीकरण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन नौगंव जनपद की ग्राम पंचायत सरसेड़ अंतर्गत आने वाले चपरन गांव के करीब 3 दर्जन मकान इस कार्य में बाधक बन रहे थे। विभाग इस जमीन को अपनी संपत्ति बताकर ग्रामीणों को बेदखल करने की बात करा था, जिसका ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे थे। उक्त ग्रामीणों के लिए अब खुशखबरी सामने आई है। कलेक्टर कार्यालय की भू-अर्जन शाखा द्वारा जारी किए गए एक नोटिस के मुताबिक रेल विभाग को दोहरीकरण कार्य के लिए चपरन गांव के ग्रामीणों को मुआवज़ा देना होगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक रेल विभाग द्वारा चपरन गांव के कुल 46 कच्चे-पक्के मकानों को अपनी सीमा में बता कर गत वर्ष नोटिस जारी किए गए थे, जिसके बाद से ग्रामीणों को बेघर होने का डर सता रहा था। ग्रामीणों ने कलेक्टर और सागर कमिश्नर को शिकायत आवेदन दिए और राजस्व के खसरा में दर्ज उनकी जमीनों का मुआवजा दिलाने की मांग की। इस शिकायत को लेकर चपरन के ग्रामीण पिछले एक साल से लड़ाई लड़ रहे थे। शिकायत के आधार पर कलेक्टर ने राजस्व और रेल विभाग के अधिकारियों से संयुक्त सर्वे कराया। रेल विभाग के नक्शे और राजस्व के नक्शे के आधार पर माप कराई गई, जिसमें ग्रामीणों के मकान राजस्व भूमि पर पाए गए। राजस्व तथा लोक निर्माण विभाग ने मकानों की सरंचना, निर्माण सामग्री और आकार के आधार पर बाज़ार के मूल्य के अनुसार मुआवजे की राशि तय की है। मुआवज़े के लिए ग्रामीणों को कलेक्टर कार्यालय की भू-अर्जन शाखा से नोटिस जारी किया गया है, जिसके अनुसार मकान मालिकों से आवश्यक दस्तावेज लिए जाएंगे ताकि मुआवज़े के भुगतान में देरी न हो। वहीं चपरन गांव के किसान उदयभान भदौरिया ने बताया कि उनकी 13 आरे ज़मीन दोहरीकरण में जा रही है लेकिन उन्हें मुआवजे के भुगतान के लिए कोई नोटिस नहीं मिला है।