30 मार्च से 30 जून तक चलेगा जल गंगा संवर्धन अभियान

छतरपुर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदर्शी सोच के साथ मध्यप्रदेश में वर्षा जल की बूंद-बूंद बचाने का जल गंगा संवर्धन महा अभियान गुड़ी पड़वा के दिन 30 मार्च 2025 से शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित क्षिप्रा तट पर वरुण (जल देवता) पूजन और जलाभिषेक के साथ जल गंगा संवर्धन अभियान का विधिवत शुभारंभ करेंगे। यह प्रदेशव्यापी अभियान ग्रीष्म ऋतु में 30 जून 2025 तक 90 दिन से अधिक समय तक लगातार चलेगा। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव हर दिन एक छोटी-बड़ी जल संरचना को लोकार्पित करेंगे। पानी की बूंद-बूंद बचाएं, तभी हमारी सांसें बचेंगी।
कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित बैठक में जनपदों, नगरीय निकायों, जनअभियान परिषद सहित सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों को जल गंगा जल संवर्धन अभियान के क्रियान्वयन के संबंध में दिशा निर्देश दिए। साथ ही जल संरक्षण और जल संवर्धन के विशेष कार्य किए जाने के निर्देश दिए। जल गंगा संवर्धन अभियान का प्रमुख उद्देश्य जन भागीदारी से जल संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित करना है। इस अभियान के अंतर्गत समाज की भागीदारी और विभिन्न सहभागी विभागों की समेकित पहल से मुख्यत: नवीन जल संग्रहण संरचनाओं के निर्माण, भूजल, संवर्धन, पूर्व से मौजूद जल संग्रहण संरचनाओं की साफ-सफाई व जीर्णोद्धार, मरम्मत, जल स्त्रोतों में प्रदूषण के स्तर का कम करने, जल वितरण की संरचनाओं की साफ सफाई तथा मानसून में किए जाने वाले पौधारोपण हेतु आवश्यक तैयारियों के कार्य प्राथमिकता पर किए जाएंगे। कलेक्टर श्री जैसवाल ने निर्देश दिए कि अभियान में समाज की सहभागिता के लिए जन जागरूकता हेतु विविध कार्यक्रमों का आयोजन और कार्य भी किए जाए। जिससे यह अभियान समाज और सरकार की साझेदारी से जल संरक्षण व संवर्धन का जन आंदोलन बन सके। हमारी धरा के कुल जल का केवल एक छोटा हिस्सा ही पीने योग्य स्वच्छ जल के रूप में उपलब्ध है। पृथ्वी के कुल जल का लगभग 97 प्रतिशत महासागरों में खारा जल है, जो पीने योग्य नहीं है। शेष 3 प्रतिशत मीठा जल है, लेकिन इसमें से भी अधिकांश हिमखंडों और बर्फ की चोटियों में जमा है। सिर्फ 0.5 प्रतिशत से भी कम पानी झीलों, नदियों और भूजल के रूप में उपलब्ध है, जिसे हम उपयोग कर सकते हैं। पृथ्वी पर स्वच्छ और पीने योग्य पानी की मात्रा बहुत ही सीमित है और इसे संरक्षित करना बेहद ज़रूरी है। इसीलिए मध्यप्रदेश सरकार ने जल बचाने के लिए कदम बढ़ाये हैं।
नागरिकों के सहयोग से जल संरक्षण अभियान बनेगा जन-आंदोलन
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संचय की विभिन्न गतिविधियां संचालित करने जैसे - पौध-रोपण, जल स्रोतों का पुनर्जीवन, ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम चलाने, स्कूलों में बच्चों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने, ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब, नदियों पर छोटे बांध निर्माण एवं नदियों के संरक्षण के लिए जलधारा के आसपास फलदार पौधों के रोपण और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के प्रमुख चौराहों पर प्याऊ की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रदेश के सभी नागरिकों से भी अपील की है कि वे जल संरक्षण की दिशा में सक्रिय योगदान दें और प्रदेश में अभियान के दौरान इसे एक को जन-आंदोलन बनाएं।
जल गंगा संवर्धन अभियान में होंगे कई महत्वपूर्ण कार्य
पंचायत स्तर पर तालाबों के निर्माण, वन्य जीवों के लिए वन क्षेत्र और प्राणी उद्यानों में जल संरचनाओं के पुनर्विकास के कार्य किये जायेंगे। अभियान के 90 दिनों में प्रदेश की 90 लघु एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण होगा। नदियों में जलीय जीवों को पुनस्र्थापित करने की संभावनाएं तलाशेंगे। लघु एवं सीमांत किसानों के लिए 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व के तालाबों, जल स्त्रोतों एवं देवालयों में कार्य किए जाएंगे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग 1000 नए तालाबों का निर्माण करेगा। प्रदेश की 50 से अधिक नदियों के वॉटर शेड क्षेत्र में जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य होंगे। नदियों की जल धाराओं को जीवित रखने के लिए गेबियन संरचना, ट्रेंच, पौध-रोपण, चेकडैम और तालाब निर्माण पर जोर दिया जायेगा। नर्मदा परिक्रमा पथ का चिन्हांकन कर जल संरक्षण एवं पौध-रोपण की कार्य योजना तैयार होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी चौपाल आयोजित होंगी। स्थानीय लोगों को जल संरचनाओं के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। प्रत्येक गांव से 2 से 3 महिला-पुरुष का चयन कर प्रदेश में 1 लाख जलदूत तैयार किए जाएंगे। सीवेज का गंदा पानी जल स्त्रोतों में न मिले, इसके लिए सोख पिट निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। नहरों के संरक्षण, जलाशयों से रिसाव रोकने, तालाबों की पिचिंग, बैराज मरम्मत कार्य होंगे। नगरीय विकास एवं आवास विभाग 54 जल संरचनाओं के संवर्धन का कार्य करेगा। नहरों को मार्क कर विलेज-मेप पर शासकीय नहर के रूप में अंकित किया जाएगा। बांध तथा नहरों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। करीब 40 हजार किलोमीटर लंबी नहर प्रणाली के सफाई कार्य। फ्लशबार की मरम्मत कार्य किए जाएंगे। स्लूस-वैल की सफाई कार्य भी इसी अभियान के दौरान होंगे। सदानीरा फिल्म समारोह, जल सम्मेलन, प्रदेश की जल परंपराओं पर आख्यान, चित्र प्रदर्शनी समेत विभिन्न आयोजन किये जायेंगे।