छतरपुर। श्री कृष्णा विश्वविद्यालय में आज दिनांक 26 जुलाई 2024 को 25 म.प्र. बटालियन एन सी सी, छतरपुर द्वारा कारगिल विजय दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि 25 एम.पी. बटालियन एनसीसी छतरपुर कमांडेंट ऑफिसर व्हीके एस चौहान, विशिष्ट अतिथि 25 एम.पी. बटालियन एनसीसी छतरपुर कर्नल वाईके गांधी एवं 25 एम.पी. बटालियन एनसीसी छतरपुर सूबेदार मेजर बलविंदर सिंह जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. बृजेंद्र सिंह गौतम ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर दीप प्रज्जवलित करके किया गया । डॉ. बी.एस. राजपूत ने अतिथियों का स्वागत भाषण के द्वारा सम्मान किया।  इस अवसर पर एक पेड़ मां के नाम पर विश्वविद्यालय में पौध रोपण किया गया। इसके साथ ही एनसीसी कैडेट द्वारा बॉर्डर पर एक युद्ध का अभिनव के द्वारा प्रदर्शन कर राष्ट्रध्वज फहराकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। एनएसएस आकाश गौतम ने अपने वक्तव्य में कहा कि हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मोहब्बत की इसी सरजमीन को हिन्दुस्तान कहते हैं।
 विशिष्ट अतिथि ईके गांधी ने अपने भाषण में बताया कि कारगिल विजय दिवस का 25वां (रजत जयंती) समारोह मना रहे हैं। कारगिल विजय दिवस, जिसे हम ऑपरेशन विजय की सफलता के रूप में मनाते हैं, भारत के लिए गर्व और विजय का प्रतीक है। यह दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, और यह 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध की समाप्ति की याद दिलाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को सफलतापूर्वक खदेड़ा और हमारे देश की संप्रभुता की रक्षा की। विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडेट के द्वारा जो नाटक का प्रदर्शन किया वह अत्यधिक मार्मिक था।  
मुख्य अतिथि बी. के. एस. चौहान ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज का दिन बहुत ही भावुक दिन है। कारगिल युद्ध भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के कारगिल जिले में हुआ था। इस संघर्ष की शुरुआत मई 1999 में हुई थी जब पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने भारतीय सीमाओं में घुसपैठ कर कई महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना ने तुरंत कार्रवाई की और तीन महीनों की कड़ी संघर्ष के बाद, 26 जुलाई को कारगिल के सभी क्षेत्रों को पुन: प्राप्त किया।  
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. गौतम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विशाल है । लेकिन सिविलियन सुरक्षित रहें उनके लिए हमारे सैनिक बार्डर पर और अन्य गतिविधियों में सहभागी रहते हैं। यह दिवस हमारे देश की सुरक्षा में जुटे सैनिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। इस दिन देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके योगदान को याद किया जाता है। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. प्रणति चतुर्वेदी एवं आभार कु. वर्षा यादव ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय के एनसीसी कैडिट, एनएसएस के स्वयंसेवी, प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं छात्र-छात्राऐं उपस्थित रहे।