अब 21 खेलों के लिए तैयार हो रहा आधुनिक स्टेडियम
छतरपुर। लंबे वक्त से दुर्दशा का शिकार रहा छतरपुर का बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम अब एक नए स्वरूप में तैयार होकर हमारे सामने आने वाला है। नवंबर महीने से शहर के इस स्टेडियम में 4 करोड़ रूपए की लागत से पीडब्ल्यूडी विभाग के द्वारा विभिन्न खेल संबंधी निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। कलेक्टर संदीप जीआर की विशेष रूचि के कारण आम जनता की मांग पर इस स्टेडियम का स्वरूप निखर रहा है। यह स्टेडियम मार्च के महीने में शहर के लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। इस स्टेडियम में 21 तरह के खेलों के लिए अलग-अलग मैदान और ट्रेक तैयार किए जा रहे हैं।
महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में पदस्थ क्रीड़ा प्रभारी प्रो. एसके छारी ने बताया कि लंबे समय से जनता की मांग थी कि शहर की धरोहर के रूप में मौजूद इस स्टेडियम को आधुनिक और सुविधाजनक बनाया जाए। छतरपुर कलेक्टर ने इस कार्य के लिए विशेष रूचि लेकर 4 करोड़ रूपए के कार्य मंजूर कराए हैं जिनके माध्यम से विभिन्न निर्माण कार्य चल रहे हैं। यहां 400 मीटर का एक शानदार सिंथेटिक ट्रेक बन रहा है जिस पर दौड़कर युवा विभिन्न शारीरिक परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे, इसी ट्रेक पर मार्च पास्ट जैसे आयोजन और एथलेटिक्स गेम्स हो सकेंगे। इसके अलावा बॉलीवॉल, क्रिकेट, फुटबाल, बॉस्केट बॉल जैसे 21 तरह के खेलों के लिए भी मैदान के भीतर अलग-अलग प्लेटफार्म तैयार किए जा रहे हैं। कलेक्टर संदीप जीआर का उद्देश्य है कि यहां से निकले बच्चे भारत में नाम रोशन करें। ओलम्पिक जैसे खेलों के लिए भी यहां से बच्चों का अभ्यास प्रारंभ हो। यह स्टेडियम बनने के बाद यहां प्रादेशिक के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजन भी हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि मप्र में फिलहाल इस स्तर का स्टेडियम सिर्फ देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के पास मौजूद है अब हमारे पास भी यह सुविधा उपलब्ध होगी।
अब नहीं जलेगा, नहीं होंगी राजनैतिक, सामाजिक सभाएं
छतरपुर के स्टेडियम पर 4 करोड़ रूपए खर्च किए जा रहे हैं ताकि छतरपुर में खिलाडिय़ों और नौकरी की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को एक अच्छे स्तर का खेल मैदान दिया जाए। कलेक्टर संदीप जीआर का उद्देश्य है कि खेलों के लिए समर्पित विश्वविद्यालय के इस स्टेडियम को सिर्फ खेल गतिविधियों के लिए ही उपयोग किया जाए। क्रीड़ा प्रभारी एसके छारी कहते हैं कि लंबे समय से खिलाड़ी भी जिला प्रशासन से यह मांग करते आ रहे हैं। अब जिला प्रशासन ने मन बनाया है कि इस स्टेडियम में सिर्फ खेल गतिविधियां ही आयोजित हों क्योंकि अन्य गतिविधियों के आयोजन के कारण मैदान हर बार बर्बाद कर दिया जाता है।