छतरपुर। भाई बहन के पवित्र रिश्ते को एक डोर में बांधने वाला पर्व रक्षाबंधन सोमवार को मनाया जाएगा। सावन माह के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन यह त्यौहार मनाया जाता है। संयोग से सावन का पांचवा सोमवार भी रक्षाबंधन के दिन है। भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा की दृष्टि से यह त्यौहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष सोमवार को दोपहर के बाद राखी बांधने का मुहूर्त है राखी के त्यौहार को ध्यान में रखते हुए बाजार को सजाया गया है।
पंडित रविकांत शास्त्री ने बताया कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के अवसर पर रक्षाबंधन का पर्व आया है श्रावण मास का यह पांचवा सोमवार भी है। सुबह 5:15 बजे से भद्रा नक्षत्र लग जाएगा इसलिए इस नक्षत्र में राखी नहीं बांधी जाएगी। दोपहर 1:30 बजे से राखी बांधने का सिलसिला शुरू होगा। भाई बहन के अटूट प्रेम के इस पर्व में बहिने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं, बदले में भाई उनकी सुरक्षा का भरोसा देता है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
इस साल 19 अगस्त सोमवार को रक्षाबंधन मनाया जा रहा है।  रक्षाबंधन के दिन भद्रा सुबह 5 बजकर 33 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:30 से लेकर रात्रि 09:07 तक रहेगा। इस मुहूर्त में आप भाई को राखी बांध सकती है।
भाई की समृद्धि के द्वार खोलती है राखी
वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के भीतर प्रवेश करती है,जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है। रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं। पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताज़े फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें। दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं। फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं। इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें। अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें। इसके बाद  "येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:" इस मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इसी दिन देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शान्ति और समृद्धि बढ़ती है। प्राणी इस दिन नदियों, तीर्थों, जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान और दान-पुन्य करके आप ईष्ट कार्य सिद्ध कर सकते हैं।