सामाजिक मर्यादाओं के बंधन का यादगार पर्व रक्षाबंधन: ब्रह्माकुमारीज
छतरपुर। प्रेम, अहिंसा, विश्व-बंधुत्व, करुणा के सुवासित पुष्पों से पल्लवित तथा सद्भावना के आंचल में मानव को संरक्षित करने वाले भारत देश में मनाए जाने वाले पर्वों में भी मनुष्य की रक्षा का कवच समाया होता है। यही कारण है कि विज्ञान के युग में भी पर्वों की सार्थकता को विविध रूपों में स्वीकार किया जाता है। आज रक्षा का संकट भारत ही नहीं पूरे विश्व में गहराता जा रहा है। यह रक्षा चाहे स्वयं की हो या समाज की दोनों इस परिधि से बाहर नहीं है, ऐसे परिवेश में रक्षाबंधन का पर्व बहुत अहमियत रखता है। टूटती पवित्र सामाजिक तथा पारिवारिक मर्यादाओं को मजबूत करने के लिए रक्षाबंधन के पर्व को सही अर्थों में मनाने की आवश्यकता है संसार के रचयिता कल्याणकारी परमपिता परमात्मा के बच्चे हम आत्माएं सब आपस में भाई-भाई हैं क्योंकि आत्मिक रूप में हमारा पिता सिर्फ परमात्मा है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए ब्रह्माकुमारीज छतरपुर द्वारा जन्माष्टमी तक बड़े ही उत्साह से इस पवित्र पर्व का संदेश जन-जन तक पहुंचाने की मुहिम शुरु की गई है। छतरपुर सेवा केंद्र प्रभारी बीके शैलजा ने कहा कि परमात्मा का उक्त संदेश सुनाने और विश्व बंधुत्व की भावना जागृत करने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा यह अगस्त मास पवित्रता मास के रूप में मनाया जा रहा है और इसी माह में आने वाला यह पवित्र पर्व रक्षाबंधन हमें मन-वचन- कर्म से पवित्रता को अपनाने की प्रेरणा दे रहा है। ब्रह्माकुमारी रमा बहन, बीके रीना, आरती एवं अन्य बहनों ने मिलकर सोमवार के दिन परमात्मा शिव को सर्वप्रथम राखी बांधकर और सभी रक्षा सूत्रों को ईश्वर को समर्पित करते हुए उनमें शक्ति भरने के लिए मैडिटेशन किया और सर्व की रक्षा के लिए प्रार्थना की। परमात्मा शिव को रक्षा सूत्र बांधने के पश्चात दूसरी राखी प्रकृति को समर्पित की और प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया गया। आज दिव्यांग केंद्र और सत्यशोधन आश्रम और वृद्धाश्रम से इसकी शुरुआत होगी।