हरपालपुर। जिले में बीते दिनों से चले आ रहे खाद संकट के बीच शनिवार को अन्नदाताओं के लिये बड़ी राहत वाली खबर आई है। लगातार अखबारों में छाए खाद संकट की खबरें प्रकाशित करने के बाद हरकत में आये जिला प्रशासन के प्रयास से जिले में तीन दिनों में तीन खाद की रैक पहुंचे वाली हैं। जिले में लगातार खाद की आपूर्ति के बावजूद संकट बना हुआ है। लगातार आ रही इन खाद की रैक से अब संकट दूर होने का अनुमान है।
शनिवार को जिले के हरपालपुर रेलवे स्टेशन के रैक प्वाइंट  पर एनएफएल यूरिया की रैक पहुंची। खाद संकट के बीच कृषि विभाग और किसान दोनों ने राहत की सांस ली। जबकि बांदा रेलवे स्टेशन पर 2700 मैट्रिक टन ईएफको यूरिया की 42 डिब्बो की रैक वही झाँसी स्टेशन पर 4000 एमटी की एनएफएल डीएपी की रैक रोकी गई। जैसे ही हरपालपुर रैंक प्वाइंट खाली होगा वैसे तीन दिनों में ये दो खाद की रैक भी हरपालपुर स्टेशन के रैंक प्वाइंट पर उतरेगी। जिससे जिले में खाद संकट काफी हद तक काबू पा लिया जाएगा। किसानों को समय पर यूरिया डीएपी खाद मिल सकेगा।
शनिवार को गुजरात पोर्ट से हरपालपुर पहुंची एनएफएल यूरिया की रैक में 2410.62 मैट्रिक यूरिया छतरपुर जिले और टीकमगढ़ 210  मैट्रिक टन यूरिया छतरपुर जिले  में 1624.62  मैट्रिक टन यूरिया आवंटन मार्कफेड गोदामों के लिए किया गया है। जिसमें छतरपुर मार्कफेड गोदाम 450 एमटी, बिजाबर 270 एमटी, हरपालपुर 108 एमटी, बमीठा 266.22 एमटी, घुवारा 175 एमटी, लवकुशनगर 300 एमटी एवं एमपी एग्रो 50.4 एमटी, सहकारी समिति 180 एमटी और टीकमगढ़ जिले के पलेरा 210 एमटी  खाद ट्रकों से परिवहन कर भेजा जाएगा। 2656.23 यूरिया रैक में 70 प्रतिशत मार्कफेड सहकारी समितियों को आवंटन किया गया। 786 एमटी यूरिया निजी खाद विक्रेताओं को दिया जाएगा।
वरिष्ठ कृषि विस्तार विकास अधिकारी सूरजभान पटेल  ने बताया जिले में यूरिया की किसी भी तरह की कमी नहीं होने दी जाएगी। तीन दिनों में यूरिया और डीएपी रैक आ रही है। डिमांड के हिसाब से जिले के मार्कफेड गोदामों सहकारी समितियों में भेजा जाएगा। रैंक प्वाइंट से यूरिया के जल्द उठाव के लिये कृषि विभाग के अधिकारी सुरेंद्र अग्रवाल की ड्यूटी लगाई है जिनकी निगरानी में समय से यूरिया का परिवहन हो सके।
 रैक पॉइंट पर कृषि विभाग की निगरानी में परिवहन ठेकेदार राजेंद्र अग्रवाल द्वारा आधा सैकड़ा ट्रक लगा कर समय से यूरिया का परिवहन किया जा रहा है। मावठ की बारिश से बचाव के लिये यूरिया को रैक प्वाइंट पर तिरपाल से कवर किया गया है जिससे बारिश भी होती है तो यूरिया को किसी भी तरह का नुकसान न हो।