सर्दियों में बढ़ जाता है कि हार्टअटैक का खतरा, सावधान रहें, डॉ. अरविंद सिंह ने दिए जरूरी सवालों के जवाब

छतरपुर। इन दिनों पूरा उत्तर भारत शीतलहर और कड़कड़ाती सर्दी के आगोश में है। यह मौसम कई लोगों को लुभावना लगता है ेलेकिन कम उम्र के बच्चे और अधिक उम्र के लोगों के साथ-साथ मरीजों के लिए यह मौसम जानलेवा भी बन जाता है। खासतौर पर इन दिनों हार्टअटैक के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। हमने छतरपुर जिला अस्पताल में पदस्थ मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरविंद सिंह से जरूरी सवाल पूछे जिनके जवाब समझना जरूरी है।
प्र. सर्दियों के मौसम में हार्टअटैक का खतरा क्यों बढ़ जाता है?
उ. दरअसल इस मौसम में हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां सिकुड़ जाती हैं जिसके कारण रक्त का संचार प्रभावित होता है और लोगों को हार्टअटैक से जूझना पड़ता है। ऐसा तब होता है जब कोई कमजोर हृदय का व्यक्ति सर्दी के सीधे संपर्क में आ जाए।
प्र. हार्टअटैक, साइलेंट अटैक और कार्डियक अरेस्ट इन तीनों में क्या फर्क है?
उ. तीनों हृदय से जुड़े खतरे को बयान करने वाले शब्द हैं। आमतौर पर हृदय की क्रिया बंद होने पर ही व्यक्ति की मृत्यु होती है। यह अलग-अलग तरह से होता है। कई बार धमनियों के सिकुड़ जाने से या रक्त संचार प्रभावित होने से तेज दर्द के साथ हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियां फट जाती हैं जिसे हार्टअटैक कहा जाता है। मधुमेह के मरीजों में यही दिक्कत कई बार बगैर दर्द के होती है। क्योंकि दर्द का संदेश पहुंचाने वाले सूचना वाहक काम नहीं करते जिसे साइलेंट अटैक कहा जाता है। कार्डियक अरेस्ट का मतलब है हृदय का अचानक काम बंद कर देना। यह हृदय की रिदम और उसके भीतरी अंगों की परेशानी से जुड़ा होता है।
प्र. शीतलहर किस तरह घातक है?
उ. शीतलहर के कारण शरीर का तापमान भी प्रभावित होता है जिससे धमनियां सिकुडि़ती हैं, सांस के मरीजों को ऑक्सीजन लेने में दिक्कत होती है। फेफड़ों में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है जिससे कई खतरे हो सकते हैं इसलिए हमें शीतलहर से बचना चाहिए।
प्र. हार्टअटैक से बचाव के लिए क्या उपाय करें?
उ. हमें अपना शुगर और बीपी का स्तर नियंत्रित रखना चाहिए। नियमित रूप से 30 मिनिट अभ्यास जरूरी है। यदि उम्र ज्यादा है या सर्दी का मौसम है तो इसे बंद कमरे में करना चाहिए। बढ़ते मोटापे और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखें, हाई कैलोरी भोजन को कम करें।
प्र. सर्दियों में किन रोगों का खतरा अधिक होता है?
उ. सर्दियों में बच्चों को निमोनिया, बड़ों को श्वांस संबंधी बीमारियों, हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है। इसलिए सर्दियों के मौसम में हाथ, पैर, कान को ढकना चाहिए और शीतलहर से बचना चाहिए।
प्र. किसी को हार्टअटैक आए तो क्या करें?
उ. यदि पहले से ही कुछ लक्षण मिल रहे हैं जैसे छाती में दर्द, कंधे में दर्द, उल्टी करने की इच्छा, बेहोशी तो समय-समय पर अपना ईसीजी और कोलेस्ट्रोल जांचें। यदि अचानक कोई बेहोश हो जाए तो हो सकता है कि उसे हार्टअटैक आया हो ऐसे में दोनों हाथों से उसकी छाती के बीच के हिस्से को दबाएं, इसे सीपीआर बोलते हैं जितना जल्दी हो सके उसे अस्पताल ले जाएं। कई बार समय पर अस्पताल पहुंचने वाले हार्टअटैक रोगियों को बचा लिया जाता है।