रिजक की मर्यादा नाटक ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
छतरपुर। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल द्वारा छतरपुर में 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का आयोजन किशोर सागर तालाब के पास स्थित ऑडिटोरियम में किया जा रहा है। बीती शाम साढ़े 6 बजे कार्यक्रम की दीप प्रज्वलन के साथ शुरुआत हुई। मुख्य अतिथि के तौर पर कलेक्टर पार्थ जैसवाल, एसपी आगम जैन, नपाध्यक्ष ज्योति सुरेंद्र चौरसिया, एडिशनल एसपी विक्रम सिंह, जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार, मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय के रजिस्ट्रार शशांक शर्मा, कार्यक्रम की नोडल नगर पालिका सीएमओ माधुरी शर्मा सहित नगर के गणमान्य नागरिक और दर्शक उपस्थित रहे।
रंग प्रयोग नाट्य समारोह के पहले दिन विजयदान देथा की कहानी रिजक की मर्यादा का मंचन दिल्ली के वरिष्ठ रंग निर्देशक अजय कुमार के निर्देशन में हुआ। यह कहानी एक कलाकार की कहानी है, जिसमें शंकर भांड नामक बहुरूपिया है, जो जिस चरित्र में ढलता है उसमे पूरी तरह डूब जाता है। साहित्य लेखन में इसे परकाया प्रवेश कहते हैं। इस परकाया प्रवेश में शंकर भांड का कोई मुकाबला नहीं है। इस कहानी में वह साधु का वेश धरकर किसी इलाके में जाता है। इस स्वांग में वह साधु को इतना विश्वसनीय बना देता है कि गांव का सेठ अपनी सारी संपत्ति साधु को दान करना चाहता है। यहां शंकर भांड अपने असली रूप में आकर बताता है कि मैं कोई साधु नहीं हूं। सेठ ने जब कहा कि इतनी दौलत मिल गई थी तो साधु का वेश क्यों छोड़ा? तब शंकर भांड ने कहा कि मैं जो रूप धरता हूं उसी के अनुरूप हो जाता हूं इसलिए इतनी धन दौलत साधु के लिए व्यर्थ है और यह मेरे रिजक यानि कुल और कलाकारी की मर्यादा भी है। इसके बाद कहानी में अचानक मोड़ तब आता है जब ख्याति सुनकर राजा उसे चुड़ैल का स्वांग करने को बोलता है। शंकर ने कहा कि यह स्वांग मत कराइए क्योंकि मैं किसी भी रूप में पूरी तरह प्रवेश कर जाता हूं। अगर ये स्वांग हुआ तो फिर चुड़ैल किसी भी मनुष्य का सीना फाड़कर रक्तपान करने के बाद ही शांत होती है ऐसे में मेरे सामने जो भी आएगा उसकी छाती चीरकर रक्तपान करना पड़ेगा। राजा और मंत्रियों ने सोचा कि यह बहानेबाजी कर रहा है। उसे उकसाया गया और शंकर भांड ने अगले दिन चुड़ैल का स्वांग किया। स्वांग इतना विश्वसनीय था कि राजा, दरबारी, प्रजा सभी भाग खड़े हुए लेकिन राजा का साला, जो कि नशे में था, वह चुड़ैल के सामने जाकर गिर पड़ा। चुड़ैल ने राजा के साले की छाती चीर डाली और रक्तपान किया। इस स्वांग के बाद जब शंकर भांड ने राजा से बख्शीश मांगी तब लोगों को अहसास हुआ कि ये तो चुड़ैल नहीं शंकर है। तब सबने उसे राजा के साले का हत्यारा घोषित करके पकड़ लिया। रानी आई और बिलखते हुए शंकर भांड को सूली पर चढ़ाए जाने की मांग की। शंकर भांड ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उसने पहले ही यह स्वांग न कराए जाने की गुज़ारिश की थी लेकिन आपने बाध्य किया। तभी राजा के मंत्री ने इस परेशानी से बचने राजा को सलाह दी कि शंकर भांड को कल सती का स्वांग करने का आदेश दें, वह जो करता है पूरे सत्य से करता है इससे उसे सजा भी मिल जायेगी और दोष भी आप पर नहीं आएगा। यह आदेश पाकर शंकर समझ गया कि उसे अपने रिजक की मर्यादा का पालन करना है तो सती की तरह चिता में जल जाना होगा। उसने राजा से प्रार्थना की कि उसकी राख उसके घरवालों तक पहुंचा दी जाए और उसके बच्चों को भी बताया जाए कि वे भी रिजक की मर्यादा का पालन करें। यह वादा लेने के बाद शंकर भांड ने राजा के आदेश का पालन करते हुए सती का स्वांग किया और रिजक की मर्यादा रखी। नाट्य मंचन में शारोन मेरी मसीह, हिमाद्रि व्यास, संजना, अभिषेक मंडोरिया, अर्पित ठाकुर, गौतम सारस्वत, प्रदीप तिवारी, रोहित खिलवानी, अभय आनंद बडोनी, कनिष्क द्विवेदी और विशाल बरुआ आदि ने भूमिकाएं निभाईं, जबकि संगीत पक्ष की जिम्मेदारीको सागर शुक्ला और संजय कोरी ने बखूबी निभाया। प्रकाश संयोजन रामसिंह पटेल का रहा।
आज होगा विख्यात निर्देशक रंजीत कपूर का नाटक रॉन्ग टर्न
टीम के सहयोगी और युवा रंगकर्मी प्रसन्न सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज 20 सितंबर को विख्यात निर्देशक रंजीत कपूर का नाटक रॉन्ग टर्न का मंचन होगा। रंजीत कपूर फिल्म और थियेटर जगत का जाना पहचाना नाम है। संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत रंजीत कपूर के निर्देशन में 20 सितंबर को रॉन्ग टर्न का मंचन होगा। सस्पेंस से भरा यह नाटक आपको कई वर्षों तक याद रहेगा। आयोजन के स्थानीय समन्वयक रंगकर्मी और पत्रकार शिवेन्द्र शुक्ला ने सभी दर्शकों से अपील की है कि इस समूह में निशुल्क प्रवेश है और शहर के लिए एक शानदार आयोजन है अत: समय से पहुंचकर अपना स्थान सुनिश्चित करलें।