छतरपुर। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, छतरपुर में म.प्र. उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित शिक्षा में आध्यात्मिकता विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का गरिमापूर्ण समापन 29 जुलाई सोमवार को जेसी बोस सभागार में प्रति कुलगुरु डॉ डी पी शुक्ला की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसमें मुख्य अतिथि डॉ ओ पी अरजरिया, पाठ्यक्रम निर्माण समिति के संयोजक डॉ जे पी शाक्य एवं अकादमिक प्रभारी डॉ बहादुर सिंह परमार मंचासीन रहे।
शिक्षा में अध्यात्मिकता विषय के पाठ्यक्रम निर्माण पर दो दिनों तक  विद्वानों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के बीच मंथन चला जिसका सार संक्षेप प्रतिवेदन पाठ्यक्रम निर्माण समिति के संयोजक डॉ जे पी शाक्य द्वारा प्रस्तुत किया।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता श्री जगत जीवन दास जी उज्जैन ने  कीद्य इस सत्र  में डॉ प्रेमलता चुटैल उज्जैन तथा कार्यशाला के संयोजक डॉ एसके छारी भी मंचासीन रहे। संयोजक डॉ जेपी शाक्य तथा डॉ एसके छारी नोडल अधिकारी द्वारा अतिथियों का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया।
मीडिया  समिति सदस्य डॉ आरपी अहिरवाल के  मुताबिक शिक्षा में अध्यात्म  विषय पर चल रही  दो दिवसीय  कार्यशाला के  अवसर पर अपने उद्बोधन में  अध्यक्षता कर रहे श्री जगत जीवन दास जी ने कहा कि सनातन धर्म कभी बदलता नहीं है। सनातन धर्म है - प्रेम करना और सेवा करना । आगे उन्होंने कहा कि शरीर का भोजन और आत्मा का भोजन अलग-अलग है। आत्मा का भोजन अध्यात्मिकता है। जीवात्मा का स्वाभाविक धर्म है-शरीर की रक्षा करना। आत्मा को  आध्यात्मिकता से जोड़कर ही जीवन में संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं। मन को नियंत्रित करने का एक मात्र तरीका अध्यात्म है ।उन्होंने  नई  शिक्षा में आध्यात्मिकता के कई फायदे बतलाये।
डॉ संध्या शर्मा, हरियाणा हिसार ने अपने उद्बोधन में कहा कि लोकगीत के अंदर अध्यात्मिकता है। आगे कहा कि हमारी संस्कृति में अनेकों ऐसे प्रसंग हैं जिन्हें जानकर हम मानवीय मूल्यों को बचा सकते हैं, आधुनिकता के साथ आध्यात्मिकता का संगम कर हम अपने जीवन को सुधार सकते हैं। तत्पश्चात उन्होंने महाभारत के आख्यान (बर्बरीक का संदर्भ )अधर्म पर धर्म की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय आधारित आध्यात्मिक नृत्य प्रस्तुति दी गई। डॉ संजय स्वामी  ने कहा कि  अज्ञानता से बाहर निकालना ही अध्यात्म है।
अगले सत्र में देश के आये हुए विद्वानों, मनीषियों, विशेषज्ञों, पाठ्यक्रम निर्माण समिति, शोधार्थी, तथा विद्यार्थियों के सुझाव उपरांत प्रथम वर्ष हेतु शिक्षा में आध्यात्मिकता विषय के पाठ्यक्रम निर्माण पर  गहन चर्चा कर रूपरेखा तैयार की गई । इस सत्र की अध्यक्षता डॉ जे पी शाक्य ( संयोजक पाठ्यक्रम निर्माण समिति ) ने की , संचालन डॉ राकेश ढांड उज्जैन तथा आभार डॉ आर पी अहिरवाल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर आमंत्रित अतिथि , विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, पाठ्यक्रम निर्माण समिति के सदस्य , शोधार्थी तथा छात्र - छात्राएं उपस्थित रहे।