युवा उत्सव कार्यक्रम के दूसरे दिन वक्तव्य कला का आयोजन
छतरपुर। श्री कृष्णा विश्वविद्यालय में युवा उत्सव कार्यक्रम के आज द्वितीय दिवस पर वक्तव्य कला के अंतर्गत प्रश्नमंच, भाषण, वाद -विवाद, मिर्मीकी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विजय चतुर्वेदी ने भाषण के लिए चार विषय निर्धारित किए जिनमें एक राष्ट्र एक चुनाव, प्लास्टिक मुक्त भारत, दहेज की वेदी पर भारतीय नारी, आत्मनिर्भर भारत सम्मिलित रहें नियमानुसार प्रतिभागी विद्यार्थियों ने पर्ची उठाई उन्हें जो भी शीर्षक मिला उस पर उन्होंने निर्धारित समयावधि में अपनी बात को स्वतंत्र रूप से रखा उनकी भाषा शैली, सम्प्रेषण, विषय सामग्री और प्रस्तुतीकरण के आधार पर निर्णायक मंडल के सदस्यों ने प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया। मिर्मीकी के प्रतिभागियों ने राजेताओं, अभिनेताओं खिलाडी और अन्य लोकप्रिय व्यक्तियों की आवाज, लहज़े शारीरिक भाषा जैसे हाव-भाव, चेहरे के भाव, और गैर-मौखिक संकेतों का इस्तेमाल कर उपस्थित सभी दर्शकों को आनंदित किया। प्रश्नमंच प्रतियोगिता के अंतर्गत विभिन्न विभागों की पृथक-पृथक टीम बनाई गई जिनसे सामान्य ज्ञान, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, समस्यामयिक घटना से संबधित प्रश्न पूछे गए जिनका निर्धारित समयावधि में उन्होंने उत्तर दिए। उसी तरह वाद-विवाद प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने बढ़ चढकर हिस्सा लिया। वाद-विवाद प्रतियोगिता का शीर्षक इस सदन की राय में प्रिंट मीडिया आवश्यक है पक्ष-विपक्ष में।
प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन करते हुए वक्तव्य कला के बारे में जानकारी देते हुए वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. वी एस राजपूत ने अपने उद्धबोधन में कहा कि वक्तव्य कला, साहित्यिक रचनाओं से अलग, व्यावहारिक और साधनात्मक कला है। इसका मकसद, सौंदर्य और आनंद से ज़्यादा प्रेरक होना होता है। वक्ता, अपने उद्देश्य और तकनीक में सूचनात्मक या मनोरंजक होने के बजाय, मुख्य रूप से प्रेरक होता है। वक्तव्य कला में महारत हासिल करने के लिए अभ्यास की ज़रूरत होती है।
हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. आशीष कुमार तिवारी ने अपने वक्तव्य में भाषण लेखन क्या है इसके बारे में बताते हुए कहा कि भाषण सार्वजनिक संबोधन का सबसे आम तरीका है जिसे संदेश प्रसारित करने के लिए तैयार किया गया है। वे विचारों और विचारों को संप्रेषित करने का एक तरीका है भाषण आकर्षक भाषा पर आधारित होना चाहिए जो लोगों को आकर्षित कर सकता हैं भाषण के दौरान शीर्षक से संबंधित उचित उदाहरण देते हुए विषय और श्रोताओं के बीच एक समन्वय बनाना बहुत जरूरी हैं। आज की प्रीतियोगिता में निर्णायक मंडल में डॉ.वी.एस राजपूत, डॉ.केशव सम्राट मोदी, डॉ. आशीष कुमार तिवारी, डॉ. सचिन व्यास, डॉ.भक्ति अग्रवाल, दीपेंद्र सिंह परशुराम अवस्थी, मेघांजलि प्रमुख भूमिका रही। वक्तव्य कला के संयोजक डॉ. विजय चतुर्वेदी एवं माधवशरण पाठक के अतिरिक्त सदस्यो में डॉ. राममिलन द्ववेदी डॉ. दिनेश मिश्रा, डॉ. मनीषा नाहर, पूनम चौरसिया, राजकुमार चौरसिया, रोहित बिंदुआ, विशाल सिंह परिहार का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम के अंत में युवा उत्सव कार्यक्रम की समन्वयक सुमेधा राय ने सभी अतिथियों एवं उपस्थित जनसमूह का अभार व्यक्त किया।