अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर आयोजित हुई गोष्ठी
छतरपुर। फ्रांस की सांस्कृतिक राजधानी तुलुस में दद्दा जी इंटरनेशनल कल्चर सेंटर के पंडित सुधीर शर्मा एवं इंजीनियर सुरेंद्र गुप्ता के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस एवं उष्ण कटिबंधीय दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में श्री शर्मा ने नशा मुक्ति एवं प्रकृति संरक्षण पर जोर दिया और बताया कि शाकाहारी होने पर ही प्रकृति का संरक्षण संभव है, आज जिस तरह से नगरीकरण बढ़ रहा है और वातावरणीय गर्मी बढ़ रही है उससे समुद्र तटीय शहरों और नगरों के अस्तित्व और भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है, गर्मी बढऩे से ग्लेशियर से निकलने वाली सभी नदियों जिनमें गंगा, यमुना, ब्रम्हपुत्र, सिंधु आदि नदियां प्रमुख हैं, इन नदियों के जलस्तर में वृद्धि होती है और इससे यदि समुद्र के जलस्तर में 1 सेमी की भी वृद्धि होती है तो इससे न केवल समुद्र तटीय शहरों बल्कि महासागरीय टापुओं और मालदीव, मारीशस, लक्षद्वीप जैसे कई द्वीपों का अस्तित्व मिट जायेगा, इसके अतिरिक्त सामान्य तौर पर पर्यावरण असंतुलन पैदा होने पर बढ़ती गर्मी, बढ़ती सर्दियों या बरसात से मानव जाति के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह लग जायेगा, और जिस तरह पर्यावरण परिवर्तन से डायनासोर जैसे विशाल प्राणी आज विलुप्त है वैसे ही मनुष्य भी विलुप्तप्राय हो सकता है, यह गंभीर चुनौती और चिंता का विषय है इसलिये पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गंभीरता से प्रयास किये जाने चाहिये और पर्यावरण संरक्षण तभी सक्रियता से हो सकता है जब हम सभी शाकाहारी हो जाये और सभी प्रकार के नशों से हम दूरी बनाकर रखें, नशा मुक्त होने से हम अपने स्वास्थ्य संवर्धन पर ध्यान देंगे और सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं, हम सभी ने कोरोना काल के दौरान देखा है कि किस तरह मानवीय गतिविधियों के न्यून होने पर प्रकृति ने अपने पुराने खोये हुए स्वरूप को प्राप्त कर लिये इसलिए यदि हम प्रकृति की गतिविधियों में दखलंदाजी बंद करेगे तभी प्रकृति संवर्धन और संरक्षण हो पायेगा। गोष्ठी में हरे रामा हरे कृष्णा (इस्कॉन), प्रजापिता ब्रह्माकुमारी एवं फ्रेंच विचारक स्वामी पर्वत जी, कृष्णा जी, गोपाल जी और हार्टफुलनैस से मुख्तारिया बासिफ आदि उपस्थित रहे।