बकस्वाहा। मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित पवित्र पड़रिया धाम में हाल ही में पूज्य श्री मलूक पीठाधीश्वर संत श्री राजेंद्रदास जी महाराज का आगमन हुआ। वृंदावन से पधारे पूज्य संत का भव्य स्वागत महंत श्री किशोर दास देव जी महाराज (श्री गोरेलाल जी कुंज) ने किया। इस अवसर पर संत श्री राजेंद्रदास जी ने श्री बांके बिहारी जी के दर्शन किए और गोरेलाल जी कुंज गौशाला का भ्रमण कर वहां की व्यवस्थाओं की प्रशंसा की।
अजब धाम से पड़रिया धाम की यात्रा
पूज्य संत श्री राजेंद्रदास जी महाराज ने वृंदावन से अजब धाम की यात्रा की, जहां वे जै जै सरकार वार्षिक उत्सव में सम्मिलित हुए। इसके पश्चात, वे पड़रिया धाम पहुंचे, जहां परम पूज्य महंत श्री किशोर दास देव जी महाराज ने उनका आत्मीय स्वागत किया। बुंदेलखंड के दो महान संतों के इस पावन मिलन को देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु पड़रिया धाम में एकत्रित हुए। महाराज श्री यहां प्रात: 11 बजे पहुंचे और दो घंटे तक भक्तों के बीच रहकर दोपहर 1 बजे वृंदावन के लिए प्रस्थान किया।
पड़रिया धाम का ऐतिहासिक महत्व
पड़रिया धाम का इतिहास अत्यंत समृद्ध और गौरवशाली है। यहां स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है। प्रारंभ में, यह क्षेत्र पन्ना रियासत का हिस्सा था, और बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल स्वयं यहां श्री बांके बिहारी जी के दर्शन करने आते थे। समय के साथ, प्रशासनिक परिवर्तनों के बाद, पड़रिया धाम छतरपुर जिले में सम्मिलित हो गया। यह प्राचीन मंदिर वृंदावन के ठाकुर गोरेलाल जी की शाखा से संबद्ध है और संत सेवा एवं गौ सेवा के लिए प्रसिद्ध है। पड़रिया धाम को संतों की तपोभूमि के रूप में भी जाना जाता है, जहां परम पूज्य श्री किशोर दास जी महाराज समय-समय पर वृंदावन से पधारते हैं।
संत श्री राजेंद्रदास जी महाराज का योगदान
पूज्य श्री मलूक पीठाधीश्वर संत श्री राजेंद्रदास जी महाराज अपने आध्यात्मिक प्रवचनों और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनके प्रवचन और कथाएं श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वे सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि समाज में एकता और सद्भावना स्थापित करने के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण आवश्यक है।
गौ सेवा और सामाजिक कार्य
पड़रिया धाम में स्थित गोरेलाल जी कुंज गौशाला में संत श्री राजेंद्रदास जी महाराज ने गौ सेवा की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और वहां की उत्कृष्ट व्यवस्थाओं की सराहना की। गौ सेवा भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, और संत श्री राजेंद्रदास जी महाराज इस पर विशेष जोर देते हैं। उनका मानना है कि गौ सेवा से समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।