छतरपुर। राज्य शासन के शिक्षा एवं आनंद विभाग द्वारा आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्रिकल एजुकेशन के सहयोग से प्रत्येक शनिवार को आयोजित की जा रही आनंद सभा के दौरान छात्रों में प्रश्न करने की जिज्ञासा लगातार बढ़ रही है। हाईस्कूल रामपुर की छात्रा रश्मि कुशवाहा ने जानना चाहा कि योग्यता क्या है और इसका आंकलन कैसे होगा? राज्य आनंद संस्थान के जिला संपर्क व्यक्ति लखनलाल असाटी ने कहा कि मेरे जीने के आधार पर मेरी योग्यता का आंकलन किया जाता है। मुख्य रूप से इसके पांच मापदण्ड दिखाई देते हैं। कार्यक्रम में वरिष्ठ शिक्षक राजीवरमन पटैरिया, अभय कुमार जैन, शरद कुमार नामदेव, कृष्ण कुमार तिवारी एवं सुरेश अहिरवार ने भी अपने विचार रखे।
लखनलाल असाटी ने कहा कि योग्यता के आंकलन के पांच मापदण्डों में मेरा आहार, विहार, व्यवहार, कार्य तथा व्यवस्था में मेरी भागीदारी शामिल है। आहार का आशय मेरे द्वारा जो भी ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से ग्रहण किए जाने से है जिसमें भोजन, हवा, पानी, प्रकाश और समस्त प्रकार की सूचनाएं शामिल हैं। विहार से आशय मेरे उठने, बैठने, चलने, फिरने और सूचनाओं को रिसीव करने के तरीके से है। दूसरे मानव के साथ मेरा व्यवहार कैसा है यह तीसरा मापदण्ड है, क्या मैं उनके साथ सहज रह पाता हूं, दूसरों को भी अपने जैसा समझ पाता हूं, व्यवहार का आधार भाव है। मेरे अंदर भावों की स्थिति क्या है। चौथे मापदण्ड की व्याख्या करते हुए श्री असाटी ने कहा कि शेष प्रकृति के साथ जो भी मेरा कार्य है क्या वह विचारपूर्वक किया जा रहा है। क्योंकि संसार में मेरे द्वारा जो भी घटित हो रहा है उसके पीछे मेरे विचार हैं। योग्यता का पांचवां मापदण्ड व्यवस्था में मेरी भागीदारी से संबंधित है। मैं खुद से, समाज से, परिवार से तथा प्रकृति के साथ किस जिम्मेदारी के साथ निर्वाह करता हूं यह भी मेरी योग्यता को निर्धारित करता है।