सही और गलत के बीच लाइन मिटा देने पर होते हैं दुखी: पुलिस अधीक्षक अमित सांघी
छतरपुर। पुलिस लाइन में राज्य आनंद संस्थान द्वारा आयोजित एक दिवसीय अल्पविराम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने कहा कि नवनियुक्त पुलिस आरक्षकों को जीवन में खुशहाली के आधार जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि पुलिस विभाग की नौकरी अन्य विभागों से बिल्कुल अलग है जब अन्य लोग उत्सव मनाते हैं तब पुलिस ड्यूटी पर होती है। आनंद विभाग की ओर से मास्टर ट्रेनर लखनलाल असाटी, श्रीमती आशा असाटी, नीलम पांडे, केएन सोमन, रामकृपाल यादव, शिवनारायण पटेल, कृष्ण पाल सिंह परिहार तथा अमित जैन द्वारा अल्पविराम संपन्न कराया गया।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि सिपाही को अपनी वर्दी पर गर्व होना चाहिए और उसे इसकी गरिमा बनाकर रखना चाहिए क्योंकि यह वर्दी हर किसी को नहीं मिलती है। वह खुद पांच जिलों के एसपी रहे पर अधिकांश समय वह अपनी वर्दी में ही रहना पसंद करते हैं। खुशहाली की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर हमने अपनी आवश्यकताओं की पहचान कर ली तो कभी दुखी नहीं होंगे। खुद के स्वास्थ्य, परिवार की खुशहाली और निष्ठा पूर्ण नौकरी के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत आवश्यक है।
लखन लाल असाटी ने मैं और शरीर के सह अस्तित्व को मानव बताते हुए दोनों की आवश्यकताओं, क्रियायों और रिस्पांस पर विस्तार से बातचीत की। दोनों की स्पष्टता हो जाने पर सुविधा, संबंध और समझ पर ठीक-ठाक काम हो जाता है और उसकी प्राथमिकता भी ठीक-ठाक तय हो जाती है। मास्टर ट्रेनर श्रीमती आशा असाटी ने जीवन का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए चार प्रश्नों पर सूचियां बनाने को कहा कि उन्होंने किन-किन की निस्वार्थ भाव से मदद की है। उन्हें किस-किस की मदद मिली है उन्हें किसने दुख दिया है और उन्होंने किस-किस को दुख दिया है। सूबेदार प्रभा सिलावट ने इस प्रेरणादायक कार्यक्रम के लिए आनंद विभाग की सराहना की, आरक्षक ब्रजराज यादव, अंकित पटेल, छोटेलाल कुशवाहा, शिवम मिश्रा, दिव्यानंद नामदेव, आराधना, गायत्री अहिरवार, जागृति चढर,पूनम मिश्रा,आरती यादव, शोभना राय, मुस्कान तोमर आदि ने कहा कि आज उनका ध्यान खुद की ओर गया है आवश्यकताओं की पहचान हुई है। जीवन का लेखा-जोखा बना पाए हैं, मदद कृतज्ञता और क्षमा के भाव पर ध्यान गया है।