बमीठा। केन्द्र और प्रदेश सरकार भले ही हर गरीब परिवार को आवास योजना के माध्यम से पक्का मकान देने का दावा कर रही है लेकिन धरातल पर स्थिति इसके विपरीत है। आज भी ऐसे कई परिवार हैं जिनके पास पक्का तो छोडि़ए, कच्चा मकान तक नहीं है लेकिन आवास योजना का लाभ उन्हें नहीं मिला है। ताजा मामला राजनगर जनपद अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत काबर के करौंदया मजरा का है, जहां का एक आदिवासी परिवार टप्पर में जीवन यापन करने को मजबूर है।
करौंदया निवासी कृपाल आदिवासी ने बताया कि वह मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। चूंकि पंचायत में मजदूरी का काम नहीं मिलता इसलिए मजबूरी में उसे दिल्ली जाकर मजदूरी करना पड़ती है। बारिश के दिनों में वहां भी काम नहीं मिलता इसलिए वह वापिस अपने गांव आ जाता है। कृपाल ने बताया कि गांव में उसके पास रहने के लिए मकान नहीं है। कई बार उसने आवास योजना का लाभ लेने के लिए प्रयास किए लेकिन वह हर बार विफल रहा। कृपाल का परिवार इन दिनों गांव में मौजूद एक टूटे टप्पर के नीचे अपना आशियाना बनाए हुए हैं। कृपाल ने यह भी बताया कि आवास योजना के अलावा उसे शासन की अन्य किसी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है। अब देखना यह है कि अपनी तीन बेटियों और पत्नी के साथ टप्पर में जीवन यापन करने वाला कृपाल आदिवासी शासन की नजरों में आखिर कब पात्र हितग्राही होता है।