यातायात पुलिस ने कहा बच्चों के माता-पिता कर सकते हैं सेफ्टी नियमों की जांच
छतरपुर। पुलिस अधीक्षक अगम जैन के निर्देशन में यातायात पुलिस द्वारा लगातार स्कूल में संचालित बस, मैजिक, वैन आदि वाहनों की चेकिंग की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी गाइडलाइन के 18 बिन्दुओं का पालन करवाने समस्त स्कूल वाहनों को निर्देशित किया जा रहा है, लेकिन बता दें कि सिर्फ प्रशासन ही नहीं पेरेंट्स खुद भी सेफ्टी नियमों की जांच कर सकते हैं, ताकि बच्चों को ऐसे हादसों से बचाया जा सके।
ये हैं सेफ्टी नियम
स्कूल बस के पीछे और आगे स्कूल बस अवश्य लिखा होना चाहिए.. अगर यह किराए की बस है, तो स्कूल ड्यूटी पर स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए। बस में फस्र्ट-एड-बॉक्स जरूर होना चाहिए। बस की खिड़कियों में क्षैतिज ग्रिल, अग्निशामक यंत्र, स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर, बस में स्कूल का एक अटेंडेंट होना चाहिए। स्कूल कैब में स्पीड गवर्नर लगे होने चाहिए और अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा होनी चाहिए। स्कूल कैब की बॉडी हाईवे पीले रंग की होनी चाहिए और वाहन के चारों ओर बीच में 150 मिमी चौड़ाई की हरे रंग की क्षैतिज पट्टी होनी चाहिए और वाहन के चारों तरफ 'स्कूल कैबÓ शब्द प्रमुखता से प्रदर्शित होना चाहिए। अगर स्कूली बच्चों की उम्र 12 वर्ष से कम है, तो ले जाने वाले बच्चों की संख्या अनुमानित बैठने की क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक नहीं होगी, 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को एक व्यक्ति माना जाएगा। स्कूल कैब के ड्राइवर के पास कम से कम चार साल की अवधि के लिए एलएमवी-ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का वैध लाइसेंस, डे्रस और आईडी कार्ड होना चाहिए। बस चालक को स्कूल कैब में ले जाए जाने वाले बच्चों की पूरी सूची रखनी होगी, जिसमें नाम, कक्षा, आवासीय पता, रक्त समूह और रुकने के बिंदु, रूट योजना आदि का उल्लेख होना चाहिए। अधिकृत व्यक्ति बच्चे को रुकने वाले स्थानों से लेने नहीं आता है, तो बच्चे को स्कूल में वापस ले जाया जाएगा और उनके माता-पिता को बुलाया जाएगा। प्राइवेट स्कूलों के लिए ऐसा नियम तुरंत बनाना चाहिए कि स्कूल प्रबंधन अपनी स्कूल की बसों की फिटनेस रिपोर्ट, प्रत्येक रूट की बस के ड्राइवर का नाम, उसका लाइसेंस, उसकी मेडिकल रिपोर्ट, बस में छात्रों की सीट संख्या, स्कूल बसों के लिए कौन-कौन से नियम बना रखे हैं। स्कूल प्रबंधक इन सबकी जानकारी स्कूल की वेबसाइट पर डालें और उसको नोटिस बोर्ड पर भी लगाएं। इसके अलावा इन सबकी जानकारी का एक पेपर पीटीएम में प्रत्येक पेरेंट्स को दें यानि पेरेंट्स को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि जिस बस में वह अपने बच्चों को भेज रहा है स्कूल संचालक व उसकी बस उन सभी नियम कानून व मानकों को पूरा कर रही है या नहीं जो बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार ने बना रखे हैं।