उमस भरी गर्मी से राहत, पर्यावरण और जलस्तर के लिए भी जरूरी
हरपालपुर। इस वर्ष जून के महीने में ही मानसून ने दस्तक दे दी है और मौसम में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। तेज आंधी-तूफान के साथ अचानक होने वाली बारिश ने जहां उमस भरी गर्मी से राहत दिलाई है, वहीं किसानों के लिए यह बारिश फायदेमंद साबित हो रही है। जून-जुलाई की बारिश फसलों की सिंचाई, तापमान नियंत्रण, जलस्तर बढ़ाने और पर्यावरण को हरा-भरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, बारिश के कुछ नुकसान भी हैं, जैसे जलजमाव, सीलन और बीमारियों का खतरा, लेकिन कुल मिलाकर यह कृषि, पर्यावरण और सामान्य जीवन के लिए जरूरी मानी जा रही है।
सोमवार को हरपालपुर क्षेत्र में शाम 7 बजे अचानक हुई बारिश ने मौसम में ठंडक घोल दी, जिससे लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली। वहीं, मंगलवार को दोपहर में तेज धूप के कारण लोगों को फिर से उमस का सामना करना पड़ा, लेकिन शाम को आसमान में बादल छाने से बारिश की संभावना बनी हुई है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जून-जुलाई की बारिश कई मायनों में फायदेमंद है। यह बारिश फसलों के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत है, जिससे उपज में वृद्धि होती है। खासतौर पर इस समय तिलहन और रेशेदार फसलों की बुवाई के लिए यह मौसम अनुकूल माना जाता है। इसके अलावा, बारिश तापमान को नियंत्रित कर गर्मी से राहत दिलाती है और नदियों, झीलों, तालाबों के जलस्तर को बढ़ाने में मदद करती है। पर्यावरण के लिए भी यह बारिश वरदान है, क्योंकि यह वायु को शुद्ध करती है और हरियाली को बढ़ावा देती है। हालांकि, बारिश के कुछ नुकसान भी हैं। इससे घरों में सीलन की समस्या हो सकती है, कुछ क्षेत्रों में जलजमाव के कारण यातायात और दैनिक जीवन प्रभावित होता है, और सर्दी, जुकाम, फ्लू जैसी बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि यह बारिश न केवल कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण और सामान्य जीवन को सुचारू रखने के लिए भी आवश्यक है।