छतरपुर। श्री कृष्णा विश्वविद्यालय, छतरपुर द्वारा भारतीय शिक्षण मंडल युवा गतिविधि के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एवं भारतीय शिक्षण मंडल महाकौशल प्रांत के प्रांताध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र सिंह गौतम ने की। डॉ. गौतम द्वारा भारतीय शिक्षण मंडल की युवा गतिविधियों की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए  इस प्रकार के आयोजन की सार्थकता पर भी प्रकाश डाला। कार्यशाला के मुख्य अतिथि महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर से आमंत्रित डॉ. पी. के. खरे, प्राध्यापक, अध्ययन शाला एवं शोध केंद्र, विशिष्ट अतिथि डॉ. के. बी. अहिरवार सहायक प्राध्यापक, अध्ययन शाला एवं शोध केंद्र, डॉ. सतीश कुमार मिश्रा, युवा आयाम प्रमुख, भारतीय शिक्षण मंडल महाकौशल प्रांत के साथ साथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव विजय सिंह उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि डॉ. खरे ने अपने वक्तव्य में शोध पत्र, शोध आलेख तथा शोध समीक्षा के अंतर को विस्तारपूर्वक समझाते हुए शोध पत्र लेखन में शीर्षक चयन, साहित्य समीक्षा के अंतराल तथा विधि-तंत्र की जानकारी विस्तार से दी। साथ ही शोध पत्र लेखन में उत्कृष्टता, ईमानदारी, बौद्धिकता, तकनीकि को ध्यान में रखते हुए इसके वैश्विक प्रभावों का उल्लेख किया। तत्पश्चात् भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा सुझाए गए शोध पत्रों/आलेखों के शीर्षक- ज्ञान-विज्ञान, समृद्ध भारत एवं पर्यावरण संरक्षण, कला-साहित्य, संस्कृति, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि विभिन्न परंपरागत विषयों के साथ-साथ इस बात पर विशेष ज़ोर दिया कि भारतीय ज्ञान परंपरा की विरासत को पुनर्जीवित कर वर्तमान युवा शक्ति को अवगत कराने की आवश्यकता है। इसके लिए भारत के प्राचीन धर्म-ग्रंथो में उल्लिखित शिक्षा में भारतीयता लाने तथा मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय शिक्षा नीति 2020 के निर्देशों का अनुपालन अपेक्षित है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मिश्रा ने भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा प्रेषित युवा गतिविधि के अंतर्गत शोध विधि में समाहित पुस्तिका की प्रति उपलब्ध कराते हुए अपने व्याख्यान में निर्देशित किया कि विश्वविद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक स्टॉफ तथा विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों पर शोध पत्र एवं निबंध लेखन के लिए प्रेरित किया जाए। वहीं डॉ. अहिरवार ने शोध में नैतिकता विषय पर अपना व्याखान विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री सिंह ने अतिथियों एवं उपस्थित सभा को आश्वस्त किया कि इस तरह के आयोजन निरंतर रूप से कराए जाएंगे, जो शोध की दृष्टि से सामयिक भी है।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय का समस्त शैक्षणिक स्टॉफ उपस्थित रहा। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. बी. एस. राजपूत, शोध सलाहकार तथा सफल संचालन डॉ. प्रणति चतुर्वेदी के द्वारा किया गया। शैक्षणिक गुणवत्ता की अभिवृद्धि के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्रत्येक शनिवार को इस तरह की कार्यशाला एवं संगोष्ठी करने का सुझाव भी दिया।