छतरपुर। ,राज्य आनंद संस्थान के सीईओ आशीष कुमार के मार्गदर्शन में क्षेत्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज प्रशिक्षण केंद्र नौगांव में संचालित तीन दिवसीय आवासीय आनंदम सहयोगी मूलभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में सागर जिले के विभिन्न विभागों के 55 कर्मचारी उपस्थित रहकर अल्पविराम ले रहे हैं। सागर संभाग के प्रशिक्षण समन्वयक लखन लाल असाटी के साथ मास्टर ट्रेनर श्रीमती आशा असाटी श्रीमती कमलेश शुक्ला दमोह, रामकेश टेकाम व अनिल कुमार राय सागर विभिन्न सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों का ध्यान खुद की आवाज सुनने की और दिला रहे हैं।
 लखन लाल असाटी ने आनंद की ओर सत्र के माध्यम से उनके आनंद की अनुभूति और उसके घटने-बढऩे के  कारण पर आकर्षित कराया, उन्होंने कहा कि सभी की क्षमता एक जैसी है, अंतर योग्यता में है यह समझ बन जाने पर हम परस्पर पूरकता के भाव के साथ एक दूसरे की योग्यता को बढ़ाने में सहायक हो जाते हैं, तब भिन्नता समस्या न रहकर हमारी ताकत बन जाती है, रामकेश टेकाम ने जीवन का लेखा-जोखा सत्र के माध्यम से सभी का ध्यान मदद,कृतज्ञता  और क्षमा के भाव पर केंद्रित कराया, जीवन में मिली मदद को याद कर प्रतिभागी अभिभूत हो गए।
शिरीष शर्मा से साइकिल पाकर पूरी हुई पढ़ाई
 बंडा में पदस्थ प्रयोगशाला सहायक महेंद्र कुमार जाटव ने कहा कि बचपन में वह छतरपुर में पढ़ते थे तब कवि सुरेंद्र कुमार शर्मा शिरीष ने आठवीं के बाद शिक्षा जारी रखने उन्हें साइकिल दे दी थी जिससे वह स्कूल जाकर पूरी पढ़ाई कर पाए और नौकरी कर सके। आज उन्हें याद कर उनका हृदय कृतज्ञता के भाव से गदगद है। पटवारी आकाश रोहित ने कहा कि इसके पहले वह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में  सब इंस्पेक्टर थे कोयंबतूर में मैराथन दौड़ के दौरान उनके पीछे चल रहे धावक के गिरकर बेहोश हो जाने पर उन्होंने अपने विजेता बनने का सपना त्याग कर उसकी मदद की थी फलस्वरूप उनके जीवन में बहुत मदद हो रही है। अनिल कुमार राय ने संपर्क सुधार और दिशा तथा श्रीमती कमलेश शुक्ला ने फ्रीडम ग्लास के माध्यम से खुद में हुए परिवर्तन को साझा किया।
 झगड़ा कैसे होते हैं इस छोटे से स्किट के बाद श्रीमती आशा असाटी ने संबंधों के महत्व तथा उनके बनने और टूटने पर सभी का ध्यान आकृष्ट कराया। अनेक प्रतिभागियों ने  अपने परिवार के भाई बहनों माता-पिता के साथ संबंध ठीक न होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह अब इन संबंधों को सुधारने के लिए प्रयास करेंगे, अजय सिंह राजपूत ने कहा कि  आज से ही उन्होंने गुटखा का त्याग कर दिया है, अनेक प्रतिभागियों ने भी  शांत समय लेकर अपने अंदर की बुराइयों को देखा और उन्हें कागज पर लिखा फिर उसके बाद उन्होंने उस कागज को पानी की बाल्टी में डालकर उस बुराई का  हमेशा के लिए त्याग करने का संकल्प लिया, तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन बुधवार 16 अक्टूबर को होगा।
पूरे दिन व्यस्त रहते हैं प्रतिभागी
अल्पविराम कार्यक्रम में प्रतिभागियों की दिनचर्या सुबह 6:30 बजे प्रारंभ हो जाती है, थोड़े से संवाद के बाद वह शांत समय लेते हैं और पेन डायरी लेकर एकांत में बैठ जाते हैं जहां वह अपने विचारों को लिखते हैं। लंच के बाद कुछ मनोरंजक गतिविधियां कराई जाती हैं, रात के समय प्रतिभागी छोटे-छोटे समूह के फैमिली ग्रुप में बैठकर अपने निजी जिंदगी के अनुभव साझा करते हैं।